रांची. छोटानागपुर इलाके में मिशनरियों के आगमन के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काम शुरू हुए थे. स्कॉटलैंड के डॉक्टर वालेंटाइन ने 1893 में यहां के लोगों को प्राथमिक चिकित्सा के गुर सिखाये थे. इस संबंध में छोटानागपुर की सबसे पुरानी पत्रिका घरबंधु के 1893 के अंक में खबर प्रकाशित हुई थी. खबर में लिखा गया था कि चुटियानागपुर (छोटानागपुर) के बहुत ख्रिस्तान (क्रिश्चियन) लोग डॉ वालेंटाइन को देखकर खुश होंगे क्योंकि उन्होंने यहां के कितने ही उरांव मुंडा युवाओं को वैद्य का काम सिखाया था. उनके इस काम से गोस्सनर मिशन को नये कर्मचारी मिले थे. घरबंधु में डॉक्टर वालेंटाइन का जो तस्वीर छपी थी वह एक रेखाचित्र था जो मुंबई गार्डियन समाचार पत्र के संपादक अलफ्रेड एम डेयर के सौजन्य से मिली थी. खबर के मुताबिक डॉ वालेंटाइन स्कॉटलैंड के निवासी थे. पर वे आगरा में प्रैक्टिस करते थे. डॉ वालेंटाइन का जन्म सात जून 1834 को हुआ था. उनके माता पिता धार्मिक प्रवृति के थे. अपनी युवावस्था में वालेंटाइन ने एडिनबर्ग के मेडिकल मिशनरी सोसायटी में शिक्षा प्राप्त की थी. वहां से शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्हें पत्नी के साथ भारत भेज दिया. वे नवंबर 1861 में भारत पहुंचे. पहले वे राजपूताना के नयानगर में काम किया. फिर वे बियाबर में सिविल सर्जन के रूप में काम किया. अजमेर में उन्होंने पुलिस विभाग में डॉक्टर के रूप में काम किया. चर्च के लोगों के अनुसार डॉ वालेंटाइन से चिकित्सा संबंधी जानकारी प्राप्त करने के बाद यहां के आदिवासी समुदाय के लोगों ने रांची व आसपास के इलाकों में अलग अलग स्थानों में चिकित्सा सेवा का काम शुरू किया. बाबूलेन में एक स्वास्थ्य केंद्र था. इसके अलावा बाद में कई और स्वास्थ्य केंद्र खोले गए.
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