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Women Exploitation News : आदिवासी महिला का 20 साल यौन शोषण, दर्ज होगा केस

गढ़वा जिले के रंका थाना क्षेत्र के दुधवल गांव की 35 वर्षीय आदिवासी महिला ने गढ़वा व्यवहार न्यायालय में परिवाद पत्र (972/2024) दायर किया है. महिला का आरोप है कि वह 20 वर्षों से यौन शोषण की शिकार होती रही है और धर्म परिवर्तन का दबाव झेलती रही है.

प्रतिनिधि, (गढ़वा). गढ़वा जिले के रंका थाना क्षेत्र के दुधवल गांव की 35 वर्षीय आदिवासी महिला ने गढ़वा व्यवहार न्यायालय में परिवाद पत्र (972/2024) दायर किया है. महिला का आरोप है कि वह 20 वर्षों से यौन शोषण की शिकार होती रही है और धर्म परिवर्तन का दबाव झेलती रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए गढ़वा न्यायालय के न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) अनुलिका कुमार ने रंका थाना को आरोपियों के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.

पहली बार 14 साल की उम्र में किया था यौन शोषण

महिला ने अपने परिवाद में बताया है कि उसके गांव दुधवल गांव की अकेली आदिवासी महिला हैं. उसकी बस्ती में लगभग 300 घर हैं, जिनमें से ज्यादातर लोग एक विशेष समुदाय के हैं. 2003 में जब वह केवल 14 साल की थी, तब मो इजहार अंसारी ने जबरन उlके घर में घुसकर हथियार के बल पर उसके साथ दुष्कर्म किया. उस समय इजहार ने उसे नक्सली होने का भय दिखाकर चुप रहने पर मजबूर किया. उसके बाद से इजहार ने महिला का यौन शोषण जारी रखा. महिला के अनुसार, इजहार ने पिछले 20 वर्षों में न केवल उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि तीन बार उसे गर्भपात के लिए भी मजबूर किया.

आरोप : धर्म परिवर्तन नहीं करने पर इजहार अंसारी ने वेश्यावृत्ति में धकेलने की धमकी दी

महिला का आरोप है कि इजहार ने उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव भी डाला. इजहार अंसारी ने उसे धमकी दी कि अगर उसने धर्म परिवर्तन नहीं किया, तो वह उसे जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल देगा. इस दौरान महिला को लगातार डराया-धमकाया गया. महिला का आरोप है कि इस पूरी अवधि में उसे इजहार अंसारी के अलावा नदीम अंसारी और सुल्ताना परवीन नामक दो अन्य लोगों से भी प्रताड़ना का सामना करना पड़ा. ये दोनों भी रंका थाना क्षेत्र के थाना मोड़ के निवासी हैं और इजहार अंसारी के करीबी माने जाते हैं.

कहीं से नहीं मिली मदद, तो कोर्ट पहुंची

लगातार अत्याचारों और धमकियों से तंग महिला ने पहले रंका थाना के थाना प्रभारी से मदद मांगी, लेकिन वहां से उसे कोई सहायता नहीं मिली. इसके बाद उसने गढ़वा के पुलिस अधीक्षक, पलामू के पुलिस उपमहानिरीक्षक, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, महिला आयोग रांची और रांची के पुलिस महानिरीक्षक को आवेदन देकर सुरक्षा की गुहार लगायी. लेकिन, कहीं से भी कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली. अंतत: महिला ने गढ़वा न्यायालय का रुख किया.

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