रांची. वैश्वीकरण का असर समाज में साफ दिखाई देता है. देश-दुनिया का बदलता सामाजिक परिवेश लोगों को आकर्षित कर रहा है. दूसरे देशों का रहन-सहन और संस्कृति अब अनजानी नहीं रह गयी है. तकनीक के इस दौर में हर कोई दुनिया की संस्कृतियों से परिचित है. विदेशी संस्कृति जहां भारतीयों को आकर्षित कर रही है, वहीं भारत का वैभव और भारतीय जीवनशैली भी विदेशियों को खूब भा रही है. झारखंड की राजधानी रांची में कई विदेशी लड़कियां ऐसी हैं, जिन्होंने यहां के युवाओं को जीवन साथी चुना है. भारतीय संस्कृति को अपनाते हुए ये आज पूरी तरह हिंदुस्तानी रंग में रंग चुकी हैं. यहां की परंपराओं को सीख रही हैं और इन्हें अपने-अपने देशों में भी ले जा रही हैं. लता रानी की रिपोर्ट.
युवाओं को नशे से दूर करने में जुटी है ब्राजील की लेनी
बहुबाजार निवासी लेनी पॉल मूल रूप से ब्राजील की रहने वाली हैं. वर्ष 2006 में उनकी शादी रांची के मोटिवेशनल स्पीकर डॉ राकेश पॉल से हुई. दोनों पहली बार दिल्ली में एक सेमिनार में मिले थे. ब्राजील में शादी के दिन लेनी ने हिंदुस्तानी गेटअप को तरजीह दी और साड़ी पहनकर विवाह किया. शादी के बाद डॉ पॉल उन्हें लेकर अपने पैतृक घर गोड्डा आये. लेनी ने परिवार की जिम्मेदारियां संभालते हुए झारखंड के लिए कुछ करने का निश्चय किया. वर्ष 2008 में उन्होंने एक एनजीओ की शुरुआत की, जिसके माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं की आवाज बनीं और महिला सशक्तीकरण के लिए कार्य किया. पेशे से फैशन डिजाइनर होने के कारण उन्होंने महिलाओं को सिलाई भी सिखायी. युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए उन्होंने संगीत को माध्यम बनाया और ‘यूथ इम्पैक्ट’ बैंड की स्थापना की. हिंदी-अंग्रेजी के साथ-साथ सादरी और भोजपुरी में भी वह गाती हैं. उनके कई एलबम भी उपलब्ध हैं. लेनी कहती हैं ब्राजील में मेरा पूरा परिवार है. आज वे भी झारखंड को पसंद करने लगे हैं. मुझे यहां की परिस्थितियां देखकर कुछ करने का मन हुआ और हम गोवा से रांची आ गए. लगन हो तो सबकुछ संभव है.
————————————–लंदन की एस्मे को पसंद है हिंदुस्तानी खान-पान और वेशभूषा
लंदन निवासी एस्मे किटामा अब रांची की बहू बन चुकी हैं. इसी वर्ष अप्रैल में उनकी शादी बरियातू निवासी ऋषभ बोस से हुई. दोनों लंदन में मिले थे. एस्मे लंदन के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं, जबकि ऋषभ एक फाइनांस कंपनी में कार्यरत हैं. शिक्षिका होने के कारण एस्मे के स्वभाव में नम्रता, सौम्यता और अनुशासन स्पष्ट झलकता है. शादी रांची में बंगाली रीति-रिवाजों के अनुसार हुई. एस्मे ने विवाह समारोह में हिंदुस्तानी पारंपरिक लहंगा पहना. अब वह समाजसेवी रूपा बोस और बैंककर्मी तपन बोस की बहू हैं. सास-ससुर उनकी खूब तारीफ करते हैं. एस्मे कहती हैं मुझे भारतीय संस्कृति से बहुत प्रेम है. मैं पूरी तरह एक हिंदुस्तानी बहू बनना चाहती हूं. झारखंड और खूबसूरत रांची का खान-पान, वेशभूषा और पर्यटन स्थल काबिले-तारीफ है. मैं सौभाग्यशाली हूं कि मैं रांची की बहू हूं. ————————————–दिल को छूने वाली है भारतीय परंपरा
मूल रूप से मनीला (फिलिपींस) की रहने वाली हॉनेट मुटिया रेक्विनेटल हाल ही में रांची की बहू बनी हैं. रांची के अपर बाजार निवासी विजय साबू से उनकी शादी मई में फिलिपींस में क्रिश्चियन वेडिंग के रूप में हुई थी. वहीं, 29 अक्तूबर को रांची के अपर बाजार स्थित अग्रसेन भवन में हिंदू रीति-रिवाज से फेरे संपन्न हुए और रिसेप्शन का आयोजन हुआ. हॉनेट ने पारंपरिक भारतीय लाल ब्राइडल लहंगा पहनकर फेरे लिये, जबकि विजय ने ऑफ-व्हाइट शेरवानी पहनी. हॉनेट ने कम समय में ही भारतीय परंपरा को अपनाया है. भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से वह बेहद प्रभावित हैं. शादी के बाद उन्होंने देवघर स्थित ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी किये. अब पहाड़ी बाबा के दर्शन की योजना है. वह बताती हैं मुझे शुरू से ही भारतीय संस्कृति आकर्षित करती थी. फिलिपींस के मकाती में हमारी मुलाकात हुई थी. मैं सीएसए मकाती स्कूल में शिक्षिका हूं और विजय भी वहीं कार्यरत थे. दोस्ती प्यार में बदल गयी और हम एक-दूसरे के हो गये. मेरे ससुराल वालों ने मुझे अपने परिवार की तरह अपनाया है. पहली बार ससुराल में दिवाली मनायी. भारतीय संस्कृति दिल को छू लेने वाली है. रांची की बहू बनकर बहुत अच्छा लग रहा है.
—————————————–झारखंड की कला, संस्कृति और व्यंजनों से प्रभावित है अमेरिका की सुशैना
अमेरिका की निवासी सुशैना की शादी क्लब रोड निवासी रुपेश जायसवाल से हुई है. दोनों की मुलाकात अमेरिका में हुई थी, जो बाद में शादी में बदल गयी. वर्ष 2016 में विवाह और वर्ष 2018 से वह रांची में रह रही हैं. सुशैना सात भाई-बहनों में से एक हैं और उनकी पढ़ाई अमेरिका में होम स्कूलिंग के माध्यम से हुई है. पिछले छह महीने से वह अपने पति के साथ क्लब रोड स्थित घर में ही ‘नेशन्स कॉफी शॉप’ चला रही हैं, जिसे शहर के युवा खूब पसंद कर रहे हैं. सुशैना विभिन्न प्रकार की कॉफी और कई डिशेज बनाने में माहिर हैं. उनकी खासियत है कि वे कॉफी को यूएस स्टाइल में परोसती हैं. झारखंड की कला, संस्कृति और व्यंजन उन्हें बेहद पसंद है. सुशैना कहती हैं यहां के लोग बहुत सरल और सहयोगी हैं. झारखंड की खूबसूरती और यहां की हर चीज मुझे प्रभावित करती है. आइ लव झारखंड.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

