रांची : सुप्रीम कोर्ट ने स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा- 2016 के सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन से वंचित रह गये अभ्यर्थियों की ओर से दायर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर पक्ष रखा गया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को नोटिस जारी किया. उन्हें शपथ पत्र (हलफनामा) दायर करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरथना व जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ में हुई.
हजारों सफल अभ्यर्थियों को नहीं दी गयी डाक, एसएमएस के जरिये सूचना
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता देवदत्त कामथ व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखते हुए पीठ को बताया कि स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक परीक्षा के हजारों सफल अभ्यर्थियों को डाक, एसएमएस और ईमेल के माध्यम से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (प्रमाण पत्र सत्यापन) के संबंध में जेएसएससी की ओर से सूचना दी गयी थी. इसका लाभ प्रार्थियों को भी मिलना चाहिए था, लेकिन उनके मामले में सिर्फ वेबसाइट पर सूचना प्रकाशित की गयी.
Also Read: 30 अप्रैल के बाद रिटायर हो जाएंगे डीजीपी अनुराग गुप्ता? केंद्र ने लिखा राज्य सरकार को पत्र
प्रार्थियों ने कहा- जेएसएससी ने किया है आर्टिकल 14 का उल्लंघन
प्रार्थियों की तरफ बहस कर रहे वकीलों ने आगे कहा कि यदि किसी अभ्यर्थी को विशेष तरह से आमंत्रित किया गया और उसे प्रमाण पत्र सत्यापन की जानकारी दी गयी, तो यह अन्य सभी अभ्यर्थियों (प्रार्थियों) के साथ भी होना चाहिए था. जेएसएससी ने ऐसा नहीं कर संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन किया है. प्रार्थियों को भी उसका लाभ मिलना चाहिए था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी निर्मल पाहन और अन्य की ओर से अलग अलग एसएलपी दायर की गयी है. उन्होंने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. हाइकोर्ट की एकल पीठ और बाद में खंडपीठ ने प्रार्थियों कीॉ याचिका व अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
Also Read: साहिबगंज के 13 लोग मुंबई पुलिस की हिरासत में, मुखिया और सेविका ने प्रूफ किया झारखंडी