रांची.
झारखंड में कोरोना ने पहली बार 31 मार्च 2020 को दस्तक दी थी. तीन से ज्यादा वेरिएंट द्वारा तबाही मचाने और काफी मशक्कत के बाद कोरोना महामारी पर काबू पाया जा सका. वहीं, कोरोना से बचाव में ऑक्सीजन सबसे बड़ा हथियार बना था. हालांकि, उस वक्त राज्य में ऑक्सीजन पीएसए प्लांट की कमी थी. इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कराया गया. राज्य के सभी सदर अस्पतालों के साथ-साथ पीएचसी-सीएचसी में करीब 75 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये गये. अब जब कोरोना की चर्चा फिर तेज हो रही है, तो ऐसे में प्रभात खबर ने राज्य के विभिन्न जिलों में स्थापित ऑक्सीजन प्लांटों की स्थिति की तहकीकात की. इसमें पाया गया कि रांची जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की प्रर्याप्त व्यवस्था हैं. जबकि, अन्य जिलों की स्थिति खराब है.रिम्स में ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति बेहतर
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स व रांची सदर अस्पताल समेत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन प्लांट की स्थिति बेहतर है. रिम्स में दो पीएसए प्लांट और दो एलएमओ ऑक्सीजन प्लांट चालू अवस्था में हैं. इसके अलावा मल्टी स्टोरेज पार्किंग के पास बनाये गये एक एलएमओ प्लांट को रिजर्व में रखा गया है. सदर अस्पताल रांची में पीएसए संयंत्रों को मॉक ड्रिल के दौरान परखा गया है. साथ ही इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गयी है. जांच में सभी प्लांट खरे उतरे हैं.
रामगढ़ में ऑक्सीजन प्लांट बेकार
इधर, रामगढ़ सदर अस्पताल में लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट बेकार पड़ा हुआ है. इसका इस्तेमाल नहीं होता है. केवल बीच-बीच में उसे चला कर देखा जाता है. वहीं, रामगढ़ में ही पटेल चौक के समीप बने ट्राॅमा सेंटर में ऑक्सीजन प्लांट लगा हुआ है, लेकिन उसका भी कोई इस्तेमाल नहीं होता है. लोहरदगा में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट खराब पड़ा है. लातेहार के पीएसए ऑक्सीजन प्लांट स्थिति भी खराब है. यहां दो ऑक्सीजन प्लांट लगाये गये थे, लेकिन इसका उपयोग नहीं होता है. आपात स्थिति आने पर सिलेंडर से ऑक्सीजन दिया जाता है. गढ़वा में दो ऑक्सीजन प्लांट कोरोना के दौरान तैयार किये गये थे, लेकिन दोनों खराब है. अब उसे बनाने की तैयारी की जा रही है. वहीं, हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो पीएसए प्लांट हैं, जिनका उपयोग हो रहा है. कोडरमा में पीएसए प्लांट पूरी तरह एक्टिव है. समय-समय पर मॉक ड्रिल करवाया जाता है.सदर अस्पताल रांची में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था
कोरोना के नये वेरिएंट के मद्देनजर सदर अस्पताल समेत जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गयी है. यहां पहले से मौजूद अलग-अलग क्षमता के पीएसए संयंत्रों को मॉक ड्रिल के दौरान परखा गया है. साथ ही इसकी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी गयी है. जांच में सभी प्लांट खरे उतरे हैं. ज्ञात हो कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद नामकुम, ओरमांझी, सोनाहातू और बुढ़मू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में ऑक्सीजन पीएसए प्लांट लगाये गये थे. हालांकि, यहां अभी इसका उपयोग न के बराबर होता है. रांची सदर अस्पताल में 800 किलो लीटर प्रति मिनट की क्षमता के दो पीएसए प्लांट हैं, जो हवा से 1600 किलो लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनाते हैं. ये प्लांट 160 बेड के लिए पर्याप्त हैं. इसके अलावा पीएम केयर फंड से स्थापित 100 किलोलीटर का पीएसए प्लांट भी है. इसके अलावा 235 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी सदर अस्पताल में उपलब्ध है.
निर्बाध रूप से होगी ऑक्सीजन आपूर्ति
मॉक ड्रिल के दौरान यह देखा गया था कि ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन आपूर्ति में किसी प्रकार की समस्या तो नहीं आ रही है. एक टैंक को छोड़ ये सभी फंक्शनल हैं और मैनिफोल्ड से कनेक्टेड भी हैं. इसका सर्टिफिकेशन भी किया जा चुका है. सदर अस्पताल के बेसमेंट में एलएमओ मैनिफोल्ड टैंक से मरीजों को बेड पर पाइप के माध्यम से निर्बाध रूप से ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है.राज्य में पीएसए प्लांट्स और ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड
– अस्पतालों में कुल आक्सीजन बेड : 11335
– आइसीयू बेड : 1447- वेंटिलेटर युक्त बेड : 1456– पीएसए प्लांट : 122- सरकारी क्षेत्र में पीडियाट्रिक आइसीयू : 511
– सरकारी क्षेत्र में पीडियाट्रिक एचडीयू : 455- बी व डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर की संख्या : 16000डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

