पिपरवार. रैयत विस्थापित मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल बुधवार को राज्यपाल से भेंट कर विस्थापितों की समस्याओं से संबंधित आठ सूत्री मांग पत्र सौंपा. ज्ञापन में बताया गया है कि सीसीएल की पिपरवार, एनके, मगध-आम्रपाली, राजहरा व एनटीपीसी के केरेडारी, बड़कागांव व टंडवा एनटीपीसी थर्मल पावर स्टेशन से झारखंड व भारत सरकार को करोड़ो का राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन उक्त क्षेत्रों के विस्थापित मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. कोयला खनन क्षेत्र होने की वजह से बड़े पैमाने पर भारी वाहनो का परिचालन होता है. जिससे आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती है. कोयला ढुलाई, आम वाहनो का परिचालन व स्कूली बच्चों का आवागमन एक ही रास्ते से होता है. अब तक सौ से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं. यहां के लोग उच्च शिक्षा के लिए अन्य जिले या दूसरे राज्यों पर निर्भर हैं. रैविमो ने क्षेत्र में बेरोजगारी की चर्चा करते हुए स्थानीय लोगों को निजी कंपनियों में रोजगार देने व एक करोड़ तक का ठेका मुहैया कराने की मांग की है. इसके अलावा रैविमो ने क्षेत्र में दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए फोरलेन सड़क का निर्माण करने, पॉलिटेक्निक व आईटीआई कॉलेज का निर्माण करने, 100 बेड का अस्पताल का निर्माण करने, पिपरवार महाविद्यालय, कारो को सरकारी मान्यता प्रदान करने, कोयला आधारित उद्योगों की स्थापना व रोजगार के अवसर पैदा करने, कोयला खनन के बाद रैयतों को पुन: जमीन वापस करने आदि की मांगे शामिल है. मौके पर रैविमो के केंद्रीय उपाध्यक्ष इकबाल हुसैन, बृज किशोर राम, बिगन भोक्ता, इस्लाम, रंथू गंझू, लखन गंझू, राहुल राम, इस्लाम अंसारी, नजीर, दिलीप गंझू, अयूब अंसारी, दिलीप पासवान, अमृत भोक्ता अजय राम आदि शामिल थे.
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