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एसएलबीसी ने माना : राज्य में 8.62 लाख केसीसी एकाउंट एनपीए

प्रभात : मंडे मेगा स्टोरी : किसानों को ऋण माफी योजना का नहीं मिल पा रहा है पूरा लाभ

बिपिन सिंह, रांची. राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति की 91वीं त्रैमासिक बैठक के नतीजे झारखंड में किसानों की दशा बयां कर रहे है. इसमें बैंकों के मार्च 2025 के नतीजों की घोषणा की गयी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक खेती-किसानी के क्षेत्र में राज्य के किसानों की स्थिति ठीक नहीं है. कृषि ऋण एवं किसान क्रेडिट कार्ड की समीक्षा रिपोर्ट में यह बात उभरकर सामने आयी है कि राज्य के 14.58 लाख किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) खातों में से 08.62 लाख एकाउंट एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) हो चुके हैं. इनमें भी जो खाते बचे हैं, वह भी या तो अत्यधिक निकासी और सही तरीके से संचालित नहीं होने के कारण ओवरड्यू (लिमिट क्रॉस) हो चुके हैं. इसका असर राज्य में कृषि क्षेत्र को मुहैया कराये जानेवाले कर्जों पर पड़ रहा है. कृषि क्षेत्र में (फार्म क्रेडिट व कृषि सहायक ऋण) 22,035 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा गया है, जो कुल कर्ज का 14.96% है. यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय मानक 18% से कम है. रिजर्व बैंक की मानें तो इसका असर राज्य में कृषि क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने की नीति और राज्य की अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ रहा है. भुगतान नहीं होने के कारण ज्यादातर खाते हो रहे एनपीए साल 2023-24 में राज्य सरकार द्वारा 31 मार्च 2020 तक स्टैंडर्ड केसीसी फसल ऋण में 2,00,000 रुपये तक की बकाया राशि को झारखंड कृषि ऋण माफी योजना के तहत माफ किया जा रहा है. लेकिन, ज्यादातर किसानों के केसीसी खाते जो मार्च 2020 को स्टैंडर्ड थे, वह पिछले तीन-चार सालों में ब्याज लगने और भुगतान नहीं होने के कारण एनपीए हो चुके हैं. ऐसे में जब तक इन खातों को ठीक नहीं किया जाता, ऐसी परिस्थिति में किसान केसीसी लोन से वंचित रह जायेंगे. एसएलबीसी के मुताबिक, स्टैंडर्ड केसीसी खातों की स्थिति भी अच्छी नहीं है, क्योंकि अधिकतर खातों में ब्याज का भुगतान ही नहीं हुआ है और 36 महीने पूरे होते ही अधिकतर खाते एनपीए में बदल जायेंगे. इसका अर्थ यह है कि राज्य के किसानों के पास पर्याप्त राशि नहीं है, जिससे वे बैंकों के ब्याज का भुगतान कर सकें.

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