रांची. योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं सेल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप के आध्यात्मिक प्रधान स्वामी चिदानंद गिरि ने योगदा आश्रम में भक्तों से कहा कि भारत के ऋषि-मुनियों ने जितना श्रवण के मूल रहस्यों को समझा है. वैसा किसी ने समझने की कोशिश नहीं की. यहीं कारण रहा कि आध्यात्मिक तौर पर वे ईश्वर के ज्यादा निकट रहे. उन्होंने कहा कि श्रवण का मतलब सिर्फ सुनना नहीं हैं, बल्कि उसका मनन करते हुए, उसमें रम जाना और ईश्वरीय अनुभूतियों को महसूस करना है.
श्रवण के मूल रहस्यों को समझाया
स्वामी चिदानंद गिरि श्रवण के मूल रहस्यों को समझा रहे थे. उन्होंने कहा कि यहां मैं जब भी होता हूं, तो पाता हूं कि मैं स्वयं को परिवर्तित महसूस कर रहा हूं. अपने महान गुरु के आशीर्वाद से अनुप्राणित हो रहा हूं. आप भी गुरुजी के टीचिंग, उनके बताये मार्ग, उनके द्वारा सिखाये गये क्रियायोग के बारे में जानने और सुनने का प्रयास करें, ताकि आप भी बेहतर दिशा में अध्यात्म के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच सकें. ये सभी के लिए आसान है.
जीर्णोद्धार हुए ऑडिटोरियम का नामकरण किया
इस अवसर पर स्वामी गिरि ने जीर्णोद्धार हुए ऑडिटोरियम का नामकरण श्रवणालय के रूप में किया. उन्होंने कहा कि श्रवण का मतलब है कि हम अपने अंदर की सारी बुराइयों को, उससे उत्पन्न होनेवाले तनावों को सदा के लिए दूर करें. इस श्रवणालय में आकर आप गुरुजी के बताये पाठों को स्मरण करने का प्रयास करें. उन पाठों में छपे शब्दों के मूल रहस्यों को जानने की कोशिश करें, ताकि आप आध्यात्मिक अनुभवों को जान सकें और समझ सकें. इस अवसर पर पूर्व स्वामी अच्युतानंद गिरि, योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के वरीय उपाध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद गिरि आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

