School Reopen in jharkhand: कोरोना महामारी के कारण पहली बार 17 मार्च 2020 को झारखंड में स्कूल बंद किये गये थे. इसके बाद से स्कूलों का संचालन सामान्य तरीके से नहीं हो रहा है. पिछले 22 महीने से अधिकतर बच्चे ऑफलाइन क्लास से दूर हैं. पहली से पांचवीं क्लास तक के करीब 26 लाख बच्चे इस दौरान विद्यालय ही नहीं आये. महाराष्ट्र में स्कूलों को खोलने के बाद झारखंड में भी स्कूल खोलने की मांग उठने लगी है. पासवा ने स्कूल नहीं खोलने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है.
अभिभावकों की सहमति अनिवार्य
झारखंड में कक्षा छह से ऊपर के स्कूल बच्चों के लिए समय-समय पर खुले, लेकिन संक्रमण बढ़ने के साथ ही स्कूलों को फिर बंद कर दिया गया. खुलने के बाद भी बच्चों की उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया गया. विद्यालय आने के लिए अभिभावकों की सहमति अनिवार्य कर दी गयी थी. स्कूलों को ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन कक्षा के संचालन का भी निर्देश दिया गया था. विद्यालय स्तर की परीक्षा ऑफलाइन लेने की अनुमति नहीं थी. इन सब पाबंदियों के बीच कक्षा नौवीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए लगभग आठ माह और छठी से आठवीं के विद्यार्थियों के लिए अधिकतम छह माह ही स्कूल खोले गये.
कोरोना की तीसरी लहर का असर
कोरोना की तीसरी लहर के कारण अभी भी 12वीं तक के सभी बच्चों के लिए विद्यालय बंद हैं. इस बीच महाराष्ट्र ने सभी स्कूलों को खोल दिया है. झारखंड में भी स्कूल खोलने की मांग उठने लगी है. विशेषज्ञों का कहना है कि अब स्कूलों को खोलना जरूरी है, नहीं तो बच्चों के लिए आगे की पढ़ाई मुश्किल भरी होगी. पासवा ने स्कूल नहीं खोलने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है.
32 लाख बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से दूर
झारखंड के सरकारी विद्यालयों में पहली से 12वीं तक लगभग 45 लाख बच्चे नामांकित हैं. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर बच्चों को ऑनलाइन लर्निंग मेटेरियल भेजा जा रहा है. 45 लाख विद्यार्थियों में लगभग 13 लाख बच्चे ऑनलाइन लर्निंग मेटेरियल के माध्यम से पढ़ाई कर पा रहे हैं यानी 32 लाख बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ पा रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा अधिक से अधिक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किया गया, परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं होने के कारण वे पढ़ाई से नहीं जुड़ पा रहे हैं.
शिक्षा मंत्री भी कह चुके हैं विद्यालय खोलने की बात
झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने 31 जनवरी के बाद विद्यालय खोलने की बात कही है. हालांकि विद्यालय खोलने पर अंतिम निर्णय आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक में लिया जायेगा. एक साथ सभी कक्षाओं के लिए विद्यालय खोले जाने की संभावना कम है. ऐसे में प्रथम चरण में बोर्ड के परीक्षार्थियों के लिए क्लास शुरू हो सकती है.
स्कूल नहीं खुलने से हो रहा नुकसान
कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है. ऑनलाइन पढ़ाई में कई तरह की समस्याएं हैं. इस कारण बच्चों की पढ़ाई सही से नहीं होती है. इसका सबसे ज्यादा असर नौवीं से 12वीं के विद्यार्थियों पर पड़ा है. जिस तरह सोशल डिस्टैंसिंग के साथ कार्यालय व अन्य जगहों को खोला गया है, उसी तरह स्कूल भी खोले जायें.
Posted By : Guru Swarup Mishra