रांची. ब्रह्मचारी गौतमानंद ने कहा है कि स्वाध्याय का उद्देश्य है ईश्वरीय नियमों को जानना और अपने जीवन को उसी के अनुरूप ढालते हुए उसे अपने कर्मों में उतारना. याद रखना है कि हमें हर हाल में ईश्वरीय नियमों का पालन करना है. स्वाध्याय को अपनाते हुए आध्यात्मिक पथ पर चलना है. ऐसा करेंगे, तो ये अच्छे काम ही आगे चलकर अच्छी आदतें बनेंगी. वे रविवार को रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम के श्रवणालय में आयोजित सत्संग में संदेश दे रहे थे.
धर्म के शाश्वत नियम हैं, जो हमेशा से हैं और रहेंगे
ब्रह्मचारी गौतमानंद ने कहा कि धर्म के शाश्वत नियम हैं, जो हमेशा से हैं और रहेंगे. आप खुद देखें कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज में भी धर्म चक्र है, लेकिन आश्चर्य है कि धर्म चक्र के बारे में स्कूलों में गहराई से पढ़ाई नहीं होती. उन्होंने कहा कि ईश्वर ने कुछ नियम बनाये हैं. ब्रह्मांड को चलाने, उसे गति देने के लिए. अगर हम उनके नियमों को मानेंगे, तो आनंद में रहेंगे. उल्लंघन करेंगे तो स्वयं दंडित भी होंगे. हमें यह भी ख्याल रखना चाहिए कि चेतना दो चीजों से ऊपर उठती हैं. एक ध्यान से और दूसरा स्वाध्याय से. स्वाध्याय के लिए आपको एक समय भी सुनिश्चित रखना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है