रांची/जमशेदपुर.
भाजपा नेता सह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि सरना धर्म कोड के नाम पर कांग्रेस राजनीतिक ड्रामा कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कोई याद दिलाये कि अंग्रेजों के जमाने (1871) से चले आ रहे आदिवासी धर्म कोड को 1961 में उनकी सरकार ने ही हटाया था. अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर चंपाई सोरेन ने कहा कि क्या ये लोग भूल चुके हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए की पिछली सरकार (2014) ने सरना धर्म कोड की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए ठुकरा दिया था. लेकिन अभी इन्हें राजनीति करनी है. झारखंड आंदोलन के दौरान कई बार आदिवासियों पर गोली चलवाने वाले इन लोगों ने अलग झारखंड राज्य और संताली भाषा को मान्यता देने के नाम पर हमेशा आदिवासी समाज को ठगने का काम किया.कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने उस बिल को रोक दिया था
अगर केंद्र में अटलजी के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार नहीं बनी होती, तो शायद अभी तक न झारखंड राज्य बना होता और न ही संताली भाषा को मान्यता मिली होती. 1967 में जब आदिवासी नेता बाबा कार्तिक उरांव धर्मांतरित हो चुके लोगों के लिए डीलिस्टिंग विधेयक लेकर आये थे, तब संसदीय समिति की अनुशंसा तथा 348 सांसदों के लिखित समर्थन के बावजूद, कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने उस बिल को रोक दिया था, अगर वह बिल पास हो गया होता, तो आज आदिवासी समाज काफी बेहतर स्थिति में होता.हर बार आदिवासी समाज को धोखा देने वाली कांग्रेस को आदिवासियों के मुद्दों पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है. उनके शीर्ष नेतृत्व को सबसे पहले अपनी इन करतूतों के लिए देश भर के आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए.
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