रांची. डॉ श्यामा प्रसाद विश्वविद्यालय, रांची में रविवार से प्रज्ञा प्रवाह की दो दिवसीय वार्षिक योजना बैठक शुरू हुई. बैठक में उत्तर-पूर्व क्षेत्र (बिहार-झारखंड) के अलग-अलग जिलों से आये करीब सौ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय सह संयोजक श्रीकांत काटघरे और क्षेत्र संयोजक देवव्रत प्रसाद ने संबोधित किया. इस दौरान श्रीकांत काटघरे ने कहा कि प्रज्ञा प्रवाह का मुख्य उद्देश्य भारत वर्ष की गौरवशाली विचार परंपरा और उज्ज्वल संस्कृति की पुनर्स्थापना करना है. प्रज्ञा प्रवाह भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक उत्थान के अनगिनत योद्धाओं को वैचारिक सामग्री प्रदान करने का लक्ष्य लेकर चलने वाली संस्था है. इस विचार परंपरा में इस बिंदु पर चिंतन किया जाता है कि हमारी अस्मिता को कैसे विद्रूपित किया गया और उन्हें हम कैसे पुनः प्रतिस्थापित करें. उन्होंने कहा इस महत्वपूर्ण कार्य की सफलता के लिए एक मजबूत वैचारिक आधार चाहिए. यही आधार देने का महत्वपूर्ण कार्य प्रज्ञा प्रवाह करती है. श्रीकांत काटघरे ने इस कार्य के लिए बड़ी और सुनियोजित रणनीति बनाने पर बल दिया. क्षेत्र संयोजक देवव्रत प्रसाद ने झारखंड समेत उत्तर और दक्षिण बिहार से आये प्रज्ञा प्रवाह के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का परिचय कराया. उन्होंने विचार को प्रायोगिक धरातल पर उतारने के तकनीकी पक्षों पर चर्चा की. कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती के उद्बोधन गीत से हुआ. मंच संचालन बौद्धिक प्रमुख मिथिलेश राय ने किया.
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