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Ranchi: हमेशा के लिए प्रतिबंधित हो जाएगा रेडक्रॉस का ब्लड बैंक!, इस कारण हो सकती है ऐसी कार्रवाई

ब्लड बैंक पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से बिना मान्यता के ही चल रहा था. इसके बाद भी यहां ब्लड का लेनदेन बदस्तूर जारी था. निदेशक औषधि की मानें, तो यह संस्था एसओपी के तहत रिकॉर्ड, संग्रह, जांच, प्रोफेशनल्स स्टॉफ के किसी भी नियम का ठीक से पालन नहीं कर रही थी.

  • 10 सालों से अधिक समय से रिन्युअल नहीं हुआ रेडक्रॉस के ब्लड बैंक का लाइसेंस

  • रेडक्रॉस सोसाइटी से अर्हता से जुड़े 11 बिंदुओं पर मांगा गया है जवाब

  • संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो हमेशा के लिए प्रतिबंधित किया जायेगा

राजधानी के मोरहाबादी स्थित इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित ब्लड बैंक का लाइसेंस पिछले 10 सालों से अधिक समय से रिन्युअल नहीं किया गया है. इसके बाद भी यह लगातार संचालित हो रहा था. वहीं, 14 अप्रैल को निदेशक औषधि ने इसे प्रतिबंधित कर दिया. ड्रग कंट्रोल विभाग ने जांच के बाद फिलहाल 15 दिनों के लिए ब्लड बैंक को सस्पेंड कर दिया है. अगर सोसाइटी की ओर से अर्हता से जुड़े 11 बिंदुओं पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है, तो ब्लड बैंक को हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दिया जायेगा.

ब्लड बैंक पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से बिना मान्यता के ही चल रहा था. इसके बाद भी यहां ब्लड का लेनदेन बदस्तूर जारी था. निदेशक औषधि की मानें, तो यह संस्था एसओपी के तहत रिकॉर्ड, संग्रह, जांच, प्रोफेशनल्स स्टॉफ के किसी भी नियम का ठीक से पालन नहीं कर रही थी. संस्था को जून 1997 में रक्त संग्रहण, जांच व वितरण का अधिकार दिया गया था. पूर्व सदस्यों ने बताया कि मान्यता के लिए रेडक्रॉस सोसाइटी ने आवेदन किया है, लेकिन कई तरह की प्रशासकीय और वित्तीय गड़बड़ियों के चलते इसे कभी मान्यता नहीं मिल सकी.

लाइसेंस रिन्युअल कराने के महज दिया गया था आवेदन : लाइसेंस रिन्युअल कराने के लिए महज आवेदन देकर छोड़ दिया गया था. चूंकि, इसके पैनल में राज्य के कई शीर्ष स्तर के लोग शामिल हैं. लिहाजा इस पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही थी. सोसाइटी के इलेक्टेड चेयरमैन पीडी शर्मा का तीन माह पहले निधन हो गया. इसके साथ ही इसके चार सदस्यों (डॉ अशाेक कुमार प्रसाद, डॉ प्रभात कुमार, अतुल गेरा और सुरेश अग्र्रवाल) ने कार्यप्रणाली के विरोध में इस्तीफा दे दिया था. निरीक्षण में खामियां मिलने के बाद भी होता रहा संचालन.

स्टेट और सेंट्रल ड्रग कंट्रोलर टीम हर साल रेडक्रॉस ब्लड बैंक का निरीक्षण करती है. लेकिन, हर बार खामियां सामने आने के बाद भी ब्लड बैंक चल रहा था. सदस्यों द्वारा विरोध जताने के बाद भी मेडिकल अफसर और ब्लड बैंक के इंचार्ज के तौर पर डॉ सुशील कुमार इसे चला रहे थे. वर्तमान में रांची उपायुक्त छवि रंजन सोसाइटी के अध्यक्ष हैं. पूर्व सदस्यों ने तीन बार रांची उपायुक्त को ब्लड बैंक की खामियों को लेकर नोटिस दिया, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी की जगह कोई और ब्लड बैंक होता, तो उस पर यह कार्रवाई काफी पहले हो जाती. हम सभी ने यहां जनऔषधि केंद्र, फ्री ओपीडी, आयुष चिकित्सा जैसी कई सुविधाएं शुरू की थीं, लेकिन कुछ लोग निजी स्वार्थ के चलते यह चाहते ही नहीं हैं कि यह ठीक से चले. बेहतर संचालन के लिए गलत लोगों को सोसाइटी से बाहर करना होगा.

अतुल गेरा, मेंबर, लाइफ सेवर्स सोसाइटी

Posted by: Pritish Sahay

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