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इंस्पेक्टर का पद नहीं है मूल कोटि का, हाइकोर्ट ने राज्य सरकार का आदेश किया निरस्त

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस इंस्पेक्टर पद से डीएसपी पद पर अनारक्षित कोटे में प्रोन्नति सब इंस्पेक्टर पद पर वरीयता को देखते हुए दी जायेगी.

रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस गाैतम कुमार चाैधरी की अदालत ने पुलिस सेवा में प्रोन्नति में आरक्षण (इंस्पेक्टर के पद को मूल कोटि घोषित करने को) को चुनाैती देनेवाली याचिका पर अपना फैसला सुनाया. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि इंस्पेक्टर का पद मूल कोटि का नहीं है. राज्य सरकार ने 10 नवंबर 2022 को जो आदेश जारी किया है, वह गलत है. उसे निरस्त किया जाता है. राज्य सरकार ने 10 नवंबर 2022 को पुलिस इंस्पेक्टर के पद को मूल कोटि का मानते हुए प्रोन्नति देने का निर्णय लिया था.

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस इंस्पेक्टर पद से डीएसपी पद पर अनारक्षित कोटे में प्रोन्नति सब इंस्पेक्टर पद पर वरीयता को देखते हुए दी जायेगी. अदालत ने प्रार्थी रविकांत प्रसाद व अन्य की याचिका को स्वीकार कर लिया. इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी की थी. उन्होंने अदालत को बताया था कि प्रार्थी रविकांत प्रसाद एवं अन्य सामान्य कोटि से हैं. सब इंस्पेक्टर से प्रोन्नत होकर पुलिस इंस्पेक्टर बने हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इंस्पेक्टर पद को मूल कोटि का घोषित किया है, जबकि मूल कोटि का पद सब इंस्पेक्टर का पद होता है. नियुक्ति सब इंस्पेक्टर पद पर होती है तथा पुलिस इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति दी जाती है. सरकार के आदेश के कारण रिजर्व कोटि के, जो उनसे कनीय हैं, उन्हें डीएसपी पद पर प्रोन्नति मिल गयी है. श्री टंडन ने सरकार के 10 नवंबर 2022 के आदेश को गलत बताते हुए निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रविकांत प्रसाद एवं अन्य ने याचिका दायर कर झारखंड सरकार के आदेश को चुनाैती दी थी.

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