रांची. संत फ्रांसिस भी सोसाइटी ऑफ जीसस से थे. उनका निधन मेरा व्यक्तिगत नुकसान है. वह हममें से एक थे, फिर भी पूरी दुनिया के थे. मुझे 2016 में रोम में हुए जेनरल कांग्रीगेशन में पोप से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं अभी भी उनकी गर्मजोशी, विनम्रता और आध्यात्मिक गहरायी की यादें संजोए हुए हूं. पोप फ्रांसिस मसीह के अनुरूप भले गड़ेरिए थे. साधारण, विनम्र और लोगों से गहरे जुड़े हुए. पोप ने वेटिकन में पोप के लिए बने भव्य महल में रहने का चुनाव नहीं किया. बल्कि उन्होंने एक साधारण गेस्ट हाउस के छोटे से कमरे को अपनी निवास स्थली बनाया. उनकी नेतृत्व शैली प्रमाणिकता और सहानुभूति से परिपूर्ण थी. वे पारिस्थितिकी और पर्यावरण न्याय की दिशा में एक सशक्त आवाज थे. उन्होंने हम सभी से प्रकृति की देखभाल का आह्वान किया. बीमारों, गरीबों और कैदियों के प्रति उनका विशेष स्नेह था. पुण्य बृहस्पतिवार को उन्होंने कैदियों के पैर धोकर दुनिया को विनम्र सेवा का संदेश दिया.
भारत के प्रति पोप फ्रांसिस का प्रेम विशेष था
भारत के प्रति पोप फ्रांसिस का प्रेम उनके पूरे कार्यकाल में स्पष्ट रूप से दिखा. उन्होंने हमेशा भारत की समृद्ध आध्यात्मिक धरोहर और लोगों के जीवंत विश्वास के बारे में स्नेहपूर्वक बात की. एक खास क्षण तब आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इटली दौरे पर थे. इस दौरान उनकी पोप फ्रांसिस से मुलाकात हुई. इस ऐतिहासिक क्षण में इंटरप्रेटर की भूमिका रांची के फादर दिलीप संजय एक्का ने निभायी. फादर दिलीप वेटिकन रेडियो में कार्यरत थे. उन्होंने पोप की लैटिन भाषा में कही गयी बातों का हिंदी में अनुवाद किया और प्रधानमंत्री की हिंदी में कही गयी बातों को लैटिन में. यह मुलाकात 20 मिनट के लिए तय थी, लेकिन दोनों के बीच संवाद करीब 35 से 40 मिनट तक चला.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

