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झारखंड में जमीन माफिया पर पुलिस मेहरबान 3,356 आरोपियों में अब तक सिर्फ 125 गिरफ्तार

सिर्फ चार जिलों की पुलिस ने जमीन माफिया पर सीसीए के तहत की कार्रवाई, बाकी ने नहीं

रांची (अमन तिवारी). लगता है झारखंड में जमीन माफिया और कारोबारी पर पुलिस काफी मेहरबान है. इसका खुलासा जमीन विवाद में माफियाओं के खिलाफ दर्ज केस और कार्रवाई के आंकड़ों से होता है. झारखंड के सभी जिलों में वर्ष 2021 से लेकर 2023 तक पुलिस के पास पिछले तीन साल में जमीन विवाद और कब्जे को लेकर कुल 24,939 मामले सामने आये. इसमें भू-माफिया के खिलाफ राज्य के 23 जिलों के विभिन्न थानों में कुल 1045 केस दर्ज किये गये. पुलिस द्वारा दर्ज 1045 केस में कुल 3,356 आरोपी थे, लेकिन इसमें से पुलिस अब तक सिर्फ 125 आरोपियों को ही गिरफ्तार कर सकी है. सिर्फ चाईबासा ऐसा जिला है, जहां भू-माफिया द्वारा जमीन कब्जा करने के आरोप में एक भी केस थाने में दर्ज नहीं हुआ है. यहां सामान्य भूमि विवाद को लेकर झगड़ा-झंझट व भूमि पर स्वामित्व को लेकर पुलिस के पास 23,947 मामले आये. इसमें पुलिस ने 19,967 मामले में धारा 107 के तहत निरोधात्मक कार्रवाई की, जबकि 3,927 मामलों में धारा 144 के तहत कार्रवाई हुई. झारखंड के सिर्फ चार जिलों की पुलिस ने जमीन माफिया को नियंत्रित करने के लिए उनके खिलाफ क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) और थाना हाजिरी का प्रस्ताव तैयार किया. इसमें रांची, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम और गोड्डा जिला शामिल हैं. शेष जिलों की पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. झारखंड के विभिन्न जिलों में दर्ज केस के रिकॉर्ड के अनुसार रांची जिले में भू-माफिया द्वारा जमीन कब्जा को लेकर सबसे अधिक केस दर्ज किये गये हैं. यहां पिछले तीन साल में कुल 194 केस दर्ज किये गये, जबकि भूमि विवाद के सामान्य मामले और स्वामित्व को लेकर सबसे अधिक पलामू और गढ़वा जिला में शांति-व्यवस्था कायम करने के लिए धारा 107 की कार्रवाई की गयी. आंकड़ों और तथ्य से यह भी स्पष्ट है कि ग्रामीण इलाके में भूमि-माफिया का प्रभाव अधिक नहीं है. यहां पर भूमि माफिया द्वारा जमीन कब्जा करने के काफी केस दर्ज किये गये हैं, लेकिन इन इलाके में दो पक्षाें के बीच जमीन पर दावेदारी को लेकर या स्वामित्व के लेकर अधिक विवाद होते हैं. इस कारण यहां दोनों पक्षों के बीच जमीन विवाद के मामले में विधि-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए धारा 107 की अधिक कार्रवाई की गयी है. वहीं भूमि स्वामित्व को लेकर धारा 144 की कार्रवाई कर मामले को न्यायालय में पुलिस ने भेज दिया, ताकि दोनों पक्ष अपने-अपने पेपर के आधार पर आगे मुकदमा लड़ कर जमीन पर पोजिशन की दावेदारी कर सकें.

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