रांची. राजधानी रांची के सभी 53 वार्डों में भवनों का नक्शा पास करने की जिम्मेदारी रांची नगर निगम को है. वर्ष 2010 से यह कार्य नगर निगम कर रहा है. इसके पहले रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) नक्शा पास करता था. लेकिन अब तक के इतिहास में दोनों ही संस्थानों ने एक भी बिल्डिंग का नक्शा डिम्ड सेंक्शन (स्वतः स्वीकृत) नहीं किया है, जबकि बिल्डिंग बायलॉज में इसका स्पष्ट प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किया गया है. अब तक दोनों संस्थानों ने 10 हजार से अधिक नक्शे पास किये हैं. इनमें कई ऐसे नक्शे हैं जो वर्षों तक अफसरों के टेबल पर पड़े रहे, लेकिन किसी को डिम्ड सेंक्शन नहीं दिया गया.
बिल्डिंग बायलॉज में क्या है प्रावधान
राज्य सरकार ने नक्शा स्वीकृति की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए बिल्डिंग बायलॉज के क्लॉज 10.6 में व्यवस्था की है. इसके अनुसार यदि नक्शा आवेदन में कोई त्रुटि नहीं है और वह 30 दिनों तक अफसर के टेबल पर पेंडिंग रहता है, तो आवेदक एक आवेदन देकर भवन निर्माण शुरू कर सकता है. ऐसे मामलों में नक्शा स्वत: स्वीकृत माना जायेगा.आम लोग कैसे लें लाभ
यदि आपने नक्शा का आवेदन जमा किया है और सभी कागजात सही हैं, फिर भी जेई या अफसर आपकी फाइल को 30 दिनों तक पेंडिंग रखते हैं, तो आप नगर निगम या आरआरडीए में एक आवेदन देकर भवन निर्माण शुरू कर सकते हैं. इसके बाद आपका नक्शा स्वत: स्वीकृत माना जायेगा.अब भी लंबित हैं सैकड़ों नक्शे
रांची नगर निगम में अब भी 380 से अधिक नक्शे पेंडिंग हैं. कुछ जेई के टेबल पर हैं, तो कुछ टाउन प्लानर के पास. कई नक्शे कागजात जांच के नाम पर अटके हुए हैं. डिम्ड सेंक्शन की जानकारी आम लोगों को नहीं दी जाती, जिससे वे महीनों तक निगम का चक्कर काटते हैं. आर्किटेक्ट सुजीत भगत ने कहा कि अधिकारियों को चाहिए कि वे इस प्रावधान का प्रचार-प्रसार करें, ताकि लोग जागरूक हों और फाइलों का समय पर निबटारा हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

