रांची. विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को विधायक प्रदीप यादव ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों के आर्थिक व सामाजिक विकास का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि झारखंड में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आबादी 16 प्रतिशत है. मुस्लिम अल्पसंख्यकों के विकास के लिए बनी एमएसडी योजना से पिछले पांच वर्षों में केंद्र से कोई राशि नहीं मिली.
एमएसडीपी योजना वित्तीय वर्ष 2008-09 में शुरू की गयी
इसे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन ने स्वीकार करते हुए बताया कि एमएसडीपी योजना वित्तीय वर्ष 2008-09 में शुरू की गयी. वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह योजना प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के नाम से पुनर्गठित की गयी. यह योजना झारखंड राज्य में संचालित है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 62.50 करोड़, वित्तीय वर्ष 2017-18 में 45.14 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2019-20 में 153.35 करोड़ की योजना भारत सरकार द्वारा स्वीकृत की गयी. इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए योजनाओं की अनुशंसा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय समिति की बैठक 25 फरवरी को प्रस्तावित थी, जो अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर दी गयी. जल्द ही बैठक कर योजनाओं का चयन करते हुए स्वीकृति के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भेजा जायेगा.तैयार किया जा रहा प्रस्ताव
उर्दू व मदरसा शिक्षकों की बहाली के सवाल पर मंत्री ने कहा कि पूर्व में स्वीकृत 4401 इंटर प्रशिक्षित उर्दू सहायक शिक्षकों के पद के विरुद्ध वर्ष 2015-16 में 689 इंटर प्रशिक्षित उर्दू सहायक शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. वर्तमान में शेष 3712 इंटर प्रशिक्षित उर्दू शिक्षकों के पद को प्रत्यार्पित करते हुए इंटरमीडिएट प्रशिक्षित उर्दू सहायक आचार्य के 5478 और मध्य विद्यालय में स्नातक प्रशिक्षित उर्दू सहायक आचार्य के 1174 पद की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इसके बाद इसे सक्षम प्राधिकार के पास भेजा जायेगा. बताया गया कि अराजकीय सहायता प्राप्त 180 मदरसों में कुल स्वीकृत 1170 बल के विरुद्ध कार्यरत बल 683 है. बुनकरों को बिजली बिल में रियायत देने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि वर्तमान में बुनकर सहयोग समितियों को बिजली में रियात दिये जाने संबंधी कोई भी योजना राज्य सरकार की ओर से लागू नहीं की जायेगी.
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