10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड में पलायन, बाल तस्करी और बाल विवाह का लॉकडाउन कनेक्शन

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में जारी लॉकडाउन के बीच झारखंड पहुंचे 60 हजार से अधिक प्रवासियों में 25 हजार से अधिक बच्चे हैं. इसके बाद पलायन, बाल तस्करी और बाल विवाह के लिए बदनाम झारखंड में यह समस्या और गहराने की आशंका जतायी गयी है.

रांची : कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश भर में जारी लॉकडाउन के बीच झारखंड पहुंचे 60 हजार से अधिक प्रवासियों में 25 हजार से अधिक बच्चे हैं. इसके बाद पलायन, बाल तस्करी और बाल विवाह के लिए बदनाम झारखंड में यह समस्या और गहराने की आशंका जतायी गयी है.

Also Read: Jharkhand: कोरोना से मुक्त होने के बाद Covid19 का हॉट स्पॉट बना गढ़वा, गांवों में संक्रमण से लोगों में दहशत

प्रदेश लौटे इन बच्चों में बहुत से ऐसे हैं, जो अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने के लिए परदेस गये थे, तो कुछ मानव तस्करी का शिकार होकर अन्य राज्यों में पहुंच गये थे. ऐसे बच्चों की खोज खबर रखने वाली प्रदेश स्तरीय राज्य संसाधन केंद्र (एसआरसी) ने इन बच्चों के भविष्य को लेकर सरकार को आगाह किया है.

स्टेट रिसोर्स सेंटर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस संबंध में एक पत्र लिखा है. इसमें मांग की गयी है कि जिलों के लिए एडवाइजरी जारी की जाये, ताकि फिर से बच्चों को पलायन न करना पड़े. एसआरसी ने इससे पूर्व बच्चों की वापसी और उनके पुनर्वास को लेकर सरकार को अलर्ट कर चुके राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) का हवाला दिया है.

Also Read: झारखंड में Covid19 का तीसरा केस सामने आया, बांग्लादेश के तबलीगी जमात से लौटी बोकारो की महिला में मिला कोरोना का संक्रमण

एसआरसी ने मुख्यमंत्री को लिखे खत में कहा है कि मौजूदा परिस्थिति और भावी आर्थिक संकट को देखते हुए इस आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता कि पलायन, बाल तस्करी और बाल विवाह के लिए बदनाम झारखंड में यह समस्या और भी गहरा जाये. इससे बचने के लिए जरूरी है कि सरकार ऐसे बच्चों खासकर 16 से 18 साल की लड़कियों के लिए पुनर्वास तथा कौशल विकास प्रशिक्षण पर फोकस करे.

एक सर्वे के आंकड़ों के मद्देनजर एसआरसी ने दावा किया है कि राज्य से हर साल बड़े पैमाने पर बच्चियों की तस्करी होती है. मानव तस्कर इन्हें अपना शिकार बनाते हैं और फिर उनका जीवन नर्क बन जाता है. ऐसी परिस्थितियों से उन्हें बचाने के लिए उनका पुनर्वास कर झारखंड को कलंकित होने से बचाया जा सकता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel