21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar Bhumi: पटना में दाखिल-खारिज में बड़ा झटका, 3.66 लाख आवेदन रिजेक्ट, रैयतों की बढ़ी टेंशन, अब क्या करना होगा?

Bihar Bhumi: जमीन के कागज दुरुस्त कराने की उम्मीद में आवेदन करने वाले लाखों लोगों को झटका लगा है. दाखिल-खारिज के नाम पर शुरू हुई प्रक्रिया अब कई आवेदकों के लिए उलझन बनती जा रही है.

Bihar Bhumi: बिहार सरकार ने दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस के जरिए जमाबंदी में सुधार और जमीन से जुड़े विवादों को कम करने का दावा किया है. जिला और अंचल स्तर पर अधिकारियों को तय समय सीमा में आवेदनों के निपटारे के निर्देश भी दिए गए हैं. बावजूद इसके, बड़ी संख्या में आवेदन या तो लंबित पड़े हैं या फिर कागजातों की कमी बताकर रिजेक्ट किए जा रहे हैं. ताजा आंकड़े बताते हैं कि कुल आवेदनों का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा खारिज कर दिया गया है.

6.37 लाख निपटे, 3.66 लाख हुए रिजेक्ट

जिले में दाखिल-खारिज से जुड़े कुल 6.37 लाख आवेदनों का निपटारा किया जा चुका है, लेकिन इनमें से 3.66 लाख आवेदन सीधे तौर पर रिजेक्ट कर दिए गए. यह आंकड़ा अपने आप में इस प्रक्रिया की जमीनी हकीकत बयां करता है.

राजस्व विभाग का तर्क है कि कई मामलों में जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं थे, जबकि आवेदकों का कहना है कि उन्हें बार-बार नई शर्तों और कागजातों के नाम पर दौड़ाया जा रहा है.

लंबित मामलों का बोझ बरकरार

दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस को लेकर तेजी के दावों के बीच लंबित मामलों की संख्या भी चिंता बढ़ा रही है. जिले में अब भी दाखिल-खारिज के 17,242 आवेदन लंबित हैं. इससे साफ है कि प्रक्रिया पूरी तरह पटरी पर नहीं आ सकी है और आवेदकों को राहत मिलने में अभी वक्त लग सकता है.

डीएम की सख्ती, फिर भी सवाल

बुधवार को जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम ने सभी डीसीएलआर और अंचल अधिकारियों के साथ राजस्व मामलों की समीक्षा की. बैठक में सभी सीओ को निर्देश दिया गया कि दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस से जुड़े आवेदनों का निपटारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाए. लेकिन आंकड़े यह संकेत देते हैं कि निर्देशों के बावजूद जमीनी स्तर पर दिक्कतें बरकरार हैं.

कागजात ही क्यों बन रहे हैं सबसे बड़ी बाधा

अधिकांश रिजेक्ट किए गए आवेदनों में कागजातों की कमी को कारण बताया गया है. जमीन से जुड़े पुराने दस्तावेज, वंशावली, रसीद और नक्शे जैसे कागज जुटाना आम लोगों के लिए आसान नहीं है. इसी वजह से कई आवेदन तकनीकी आधार पर खारिज हो रहे हैं, जिससे आम नागरिकों में नाराजगी बढ़ रही है.

दाखिल-खारिज और परिमार्जन प्लस जैसी योजनाएं जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए अहम हैं. लेकिन जब बड़ी संख्या में आवेदन रिजेक्ट होते हैं, तो व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है. जरूरत इस बात की है कि प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और आवेदकों को स्पष्ट मार्गदर्शन मिले, ताकि सरकारी पहल का मकसद जमीन पर उतर सके.

Also Read: Bihar Bhumi: पटना में इस साल जमीन और फ्लैट की खरीद-बिक्री क्यों कम हुई? जानिए वजह

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel