अमन तिवारी, रांची. राज्य के आठ जिलों में रबी की फसल के दौरान ही अफीम की खेती होती है. राज्य के चतरा, खूंटी, लातेहार, रांची, पलामू, चाईबासा, सरायकेला और पलामू जिला में सबसे ज्यादा अफीम की खेती होती है. लेकिन रबी की फसल के दौरान यहां के किसान मक्का, चना, मसूर, सरसों, राई और तोरी की अपेक्षा अफीम की खेती करने में अधिक दिलचस्पी रखते हैं. इस बात की पुष्टि उक्त जिलों में विभिन्न प्रकार के रबी की फसल और अफीम की खेती करने को लेकर भूमि के क्षेत्रफल से भी होती है. आंकड़ों से पता चलता है कि संबंधित जिले के किसान भूमि के अधिकतर हिस्से में अफीम की खेती कर रहे हैं. खेती करने का यह क्षेत्र भी लगातार बढ़ता जा रहा है, क्योंकि उक्त जिले में जहां एक ओर वर्ष 2021.22 में सिर्फ 2971.02 एकड़ में अफीम की खेती होती थी. वहीं वर्ष 2024-25 में इन इलाकों में अफीम की खेती का क्षेत्र बढ़कर अभी तक 19086.465 एकड़ तक पहुंच चुका है. वर्तमान में कई इलाके में अफीम की खेती को नष्ट करने का काम चल रहा है. पूरी खेती नष्ट किये जाने के बाद यह आंकड़ा बढ़ सकता है. प्रशासनिक स्तर पर किसानों को व्यवसायिक और अन्य वैकल्पिक खेती को लेकर बढ़ावा भी दिया जा रहा है. लेकिन भूमि के क्षेत्रफल से स्पष्ट है कि खेती को बढ़ावा देने के बावजूद किसानों का रुझान अत्यधिक आमदनी होने की वजह से अफीम की अवैध खेती को लेकर बढ़ रहा है. अफीम की खेती रोकने के लिए किया जा रहा है जागरूक अफीम की खेती वाले इलाके में किसानों को वैकल्पिक खेती हेतु प्रशासनिक सहयोग उपलब्ध कराना. अफीम की अवैध खेती के खिलाफ जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करना. पिट एनडीपीएस अधिनियम के तहत लगातार खेती करने वाले को चिह्नित कर निरोधात्मक कार्रवाई करना. अफीम की खेती में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों की बिक्री पर निगरानी रखना.
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