रांची. रांची नगर निगम ने 2010-11 में शहरी परिवहन व्यवस्था को सुधारने के लिए 70 सिटी बसों की खरीदारी की और 150 से ज्यादा बस स्टॉप बनाये. इसका मकसद यात्रियों को सुगम आवाजाही देना था. पर देखरेख के अभाव में आज कई बस स्टॉप जर्जर हो गये हैं. वहीं, किसी में गैराज (वाहन रिपेयरिंग सेंटर) खुल गया है, तो कहीं बैठने की व्यवस्था नहीं है. कई बस स्टॉप के पास तो गंदगी का भी ढेर लगा रहता है. वहीं, जेपीएससी कार्यालय स्थित बस स्टॉप के पीछे बांस का ढेर लगा रहता है. यहां लोग बांस की खरीद-बिक्री करते हैं. यह स्थिति शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की दुर्दशा को बयां करती है.
दुरुस्त कराने पर किसी का ध्यान नहीं
राजधानी होने के कारण हर दिन शहर की विभिन्न सड़कों से होकर मंत्री व अफसरों का आना-जाना होता है. उनकी नजर भी जर्जर बस स्टॉप पर पड़ती होगी, लेकिन इस दिशा में वे पहल नहीं करते हैं. यही कारण है कि आज शहर के ज्यादातर बस स्टॉप अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं. कई बस स्टॉप का प्लास्टर टूट कर गिर रहा है. ऐसे में यहां हादसा भी हो सकता है.
जहां मन किया वहीं, रोक देते हैं बस
शहर में जगह-जगह बस स्टॉप तो हैं, लेकिन बस चालक अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं. यात्री ने जहां हाथ दिया, वहीं रोक देते हैं. इस कारण बस स्टॉप का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है.
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