Mango Production: रांची-बंजर जमीन सोना उगल रही है. मेहनत और जिद से यहां हरियाली है. इस बार आम का बंपर उत्पादन हुआ है. इससे गांव आम की मीठी खुशबू से सराबोर है. कभी इस जमीन पर सिर्फ कास (घास) उगते थे. इस कारण किसान खेती नहीं करते थे, लेकिन एक किसान की जिद ने इसकी तस्वीर बदल दी. झारखंड के लातेहार जिले में गौ आधारित कृषि (अमृत कृषि ) से इस बार आम की बंपर पैदावार हुई है. केमिकल फ्री (जैविक) आम की डिमांड झारखंड, दिल्ली एवं बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में अच्छी है. इससे किसान को अच्छी आमदनी हो रही है.
आम के 125 पेड़, दूधिया मालदा समेत कई वेराइटी
लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड के बारियातू का फुलसू गांव आम का हब बन गया है. करीब एक हेक्टेयर में आम की विभिन्न किस्मों के 125 पेड़ लगे हैं. जैसे दूधिया मालदा, जर्दालू, बम्बईया, अल्फांसो, मोहन भोग, रत्ना, मल्लिका, शुकुल आदि आम की वेराइटी है. हर वर्ष आम का अच्छा उत्पादन होता है. इस बार पहले से बेहतर उत्पादन हुआ है. अच्छी बात ये है कि इसमें किसी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता. अमृत कृषि का कमाल है कि इन आमों का स्वाद ऐसा है कि जी ललचाए, रहा ना जाए.
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दिल्ली और बेंगलुरु में भी उनके आम की डिमांड-कृष्ण कांत पाठक
जैविक किसान कृष्ण कांत पाठक ने बताते हैं कि उनके आम की डिमांड झारखंड की राजधानी रांची ही नहीं, बल्कि बेंगलुरु, भुवनेश्वर और नई दिल्ली समेत अन्य शहरों में काफी है. जो लोग इस आम को एक बार चख लेते हैं, उन्हें सालभर इसका इंतजार रहता है. इस बार सौ क्विंटल आम का उत्पादन हुआ है.
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