रांची.
रिटायरमेंट को अक्सर जीवन के विश्राम का समय माना जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे अपने सपनों और सेवा भाव को साकार करने का अवसर बनाते हैं. राजधानी रांची के ऐसे ही कुछ बुजुर्ग अपनी सेकेंड इनिंग को समाजसेवा, कला, संस्कृति और लेखन में समर्पित कर रहे हैं. इनकी कहानियां यह दर्शाती हैं कि जीवन का यह दूसरा चरण भी उतना ही सक्रिय और अर्थपूर्ण हो सकता है जितना कि पहला. सेवानिवृत्ति का अर्थ निष्क्रियता नहीं है. इसे अपनी इच्छाओं को पूरा करने और समाज के लिए योगदान देने के अवसर के रूप में देखें. डॉ अवनींद्र सिंह, प्रदीप कुमार और पंकज कुमार श्रीवास्तव जैसे लोगों ने यह साबित कर दिया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है. जुनून व सेवा भावना से जीवन की दूसरी पारी को भी शानदार बनाया जा सकता है.स्वास्थ्य और कला के क्षेत्र में सेवा कर रहे डॉ अवनींद्र सिंह
गेतलातू के डॉ अवनींद्र सिंह सेवानिवृत्त प्राचार्य हैं. अपनी सेवानिवृत्ति के बाद समाज सेवा को प्राथमिकता दी. नेचुरोपैथी में डिप्लोमा किया और अब इस पद्धति के माध्यम से निःशुल्क चिकित्सा सेवा दे रहे हैं. ब्रह्मर्षि एजुकेशन फाउंडेशन के माध्यम से बिहार और झारखंड में हर महीने कैंप लगाते हैं. लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए स्वस्थ रहने और असाध्य रोगों से मुक्ति पाने में मदद करते हैं. इसके अलावा, वे नाद ब्रह्म कला संस्थान की स्थापना कर चुके हैं, जहां बच्चों को शास्त्रीय और लोक संगीत, वादन, और नृत्य का प्रशिक्षण देते हैं. डॉ अवनींद्र कहते हैं : रिटायरमेंट का मतलब जीवन का अंत नहीं, बल्कि नये अवसरों की शुरुआत है. उनकी यह पहल कई बुजुर्गों को प्रेरणा देती है कि वे अपनी रुचियों को आगे बढ़ायें और समाज सेवा में योगदान दें.सदैव साथ ग्रुप के माध्यम से समाज सेवा में जुटे हैं प्रदीप कुमार
प्रदीप कुमार कोल इंडिया में जीएम (एमएम) के पद पर कार्यरत थे. सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने कई जिम्मेदारियां निभायी. बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (बीएयू) में एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर और असिस्टेंट डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन के रूप में डेढ़ साल तक कार्यरत रहे. वर्तमान में बदलाव इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के सीइओ और सेक्रेटरी हैं. यहां युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चला रहे हैं. इसके अलावा वे सदैव साथ ग्रुप से जुड़े हैं, जिसमें कोल इंडिया के 400 से अधिक रिटायर अधिकारी शामिल हैं. यह समूह न केवल जरूरतमंदों की मदद करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी कार्यरत है. अब तक 3000 से अधिक पौधे लगाये जा चुके हैं. साथ ही कई अन्य सामाजिक कार्यों में योगदान दिया है. प्रदीप कुमार हाईकोर्ट में वकालत भी कर रहे हैं. साथ ही कई प्रतिष्ठित संगठनों से जुड़े हुए हैं. इन संगठनों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (सेक्रेटरी झारखंड चैप्टर), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट मैनेजर्स (नेशनल काउंसेलर), कोल माइंस रिटायर्ड ऑफिसर्स एसोसिएशन (सेक्रेटरी रांची चैप्टर). वे कहते हैं : रिटायरमेंट के बाद समाज के लिए काम करना सबसे बड़ी संतुष्टि देता है.पंकज श्रीवास्तव बैंकिंग सेवा से लेखन की दुनिया तक
पंकज कुमार श्रीवास्तव ने अपने पूरे करियर में बैंकिंग सेक्टर में सेवा दी, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने अपने लेखन के शौक को आगे बढ़ाया. वे झारखंड प्रगतिशील लेखक संघ के उपाध्यक्ष हैं और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. न सिर्फ लेखन कार्य कर रहे हैं, बल्कि पर्यटन में भी रुचि रखते हैं. पंकज श्रीवास्तव ने रिटायरमेंट के बाद भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की और अपने अनुभवों को शब्दों में ढाल रहे हैं. उनकी पटना टूरिज्म पर लिखी गयी किताब प्रकाशित होने वाली है. वर्तमान में मर्यादा पुरुषोत्तम और गांधी विजन पर दो अन्य किताबें लिख रहे हैं. उनका मानना है कि रिटायरमेंट का समय खुद को खोने का नहीं, बल्कि खुद को फिर से पाने का होता है. अपने अनुभवों को समाज के साथ साझा करें. न कि इसे सिर्फ एक प्रोफेशनल दृष्टिकोण से देखें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है