रांची. गोस्सनर कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में सोमवार को व्याख्यान हुआ. विषय था : भारतीय अकादमिक दायरे में आदिवासी साहित्य. मुख्य अतिथि जामिया मिलिया इसलामिया विवि दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आइवी हांसदा थीं. प्रो हांसदा ने कहा कि दलित साहित्य अब मुख्य धारा के साहित्य में शामिल हो चुका है. वहीं, आदिवासी साहित्य आज भी हाशिए पर है. इसका प्रमुख कारण है कि प्रभावशाली वर्ग अपनी भाषा और साहित्य को लेकर शुरू से मुखर रहा है. आदिवासी साहित्य वाचिक परंपरा को लेकर आगे बढ़ा, जिस कारण इसका प्रामाणिक दस्तावेज कम उपलब्ध है. दूसरा कारण कई क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की अपनी लिपि नहीं है. आज समय है, इसे विकसित कर दस्तावेज में संरक्षित करने का. इससे पहले अतिथियों का स्वागत डॉ ईवा मार्ग्रेट हांसदा ने किया.
व्याख्यान में ये हुए शामिल
कार्यक्रम में डॉ शांतिदानी मिंज, प्रो गौतम एक्का, प्रो इंचार्ज इलानी पूर्ती, प्रो प्रवीण सुरीन, प्रो आशा रानी केरकेट्टा, डॉ सुब्रतो सिन्हा, डॉ सुषमा केरकेट्टा, प्रो अदिति लाया टोप्पो, डॉ प्रशांत गौरव, डॉ आमोश टोप्पो, डॉ अब्दुल बासित, डॉ ध्रुपद चौधरी, डॉ विनोद राम उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है