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झारखंड के सरकारी स्कूलों के बच्चों से सीखिए जन्मदिन मनाना, कोरोना काल में भी साबुन बैंक से ये स्वच्छता दूत ग्रामीणों को पढ़ा रहे हैं स्वच्छता का पाठ

रांची : आपने रोटी बैंक, कपड़ा बैंक समेत अन्य बैंकों का नाम तो सुना होगा, लेकिन साबुन बैंक (Soap bank) का नाम शायद ही सुना होगा. आपको जानकर ये आश्चर्य होगा कि झारखंड (Jharkhand) के 700 से अधिक सरकारी स्कूलों (Government schools) में करीब साढ़े पांच हजार साबुन बैंक (Soap bank) हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि बिना किसी सरकारी मदद (Without any government help) के स्कूलों में बाल संसद (Children's Parliament) द्वारा ये साबुन बैंक संचालित है. आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन सौ फीसदी सच है कि ये बच्चे जन्मदिन (Birthday) पर केक व टॉफी बांटने की बजाय स्कूल के साबुन बैंक में साबुन लाकर जमा करते हैं और शिक्षकों (Teachers) व बड़ों का आशीर्वाद (blessings) लेते हैं. स्कूल में ये बच्चे हाथों की साफ-सफाई (Cleanliness) में इन्हीं साबुनों का उपयोग करते हैं. इन मासूम स्वच्छता दूतों (Sanitation messengers) की ये छोटी पहल उन्हें तो स्वच्छ रखती ही है, कोरोना संक्रमण (Coronavirus infection) के दौर में भी ग्रामीणों के लिए ये काफी कारगर साबित हुई. पढ़िए कोरोना काल में स्वच्छता की मिसाल पेश करती बाल संसद के साबुन बैंक पर गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

रांची : आपने रोटी बैंक, कपड़ा बैंक समेत अन्य बैंकों का नाम तो सुना होगा, लेकिन साबुन बैंक (Soap bank) का नाम शायद ही सुना होगा. आपको जानकर ये आश्चर्य होगा कि झारखंड (Jharkhand) के 700 से अधिक सरकारी स्कूलों (Government schools) में करीब साढ़े पांच हजार साबुन बैंक (Soap bank) हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि बिना किसी सरकारी मदद (Without any government help) के स्कूलों में बाल संसद (Children’s Parliament) द्वारा ये साबुन बैंक संचालित है. आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन सौ फीसदी सच है कि ये बच्चे जन्मदिन (Birthday) पर केक व टॉफी बांटने की बजाय स्कूल के साबुन बैंक में साबुन लाकर जमा करते हैं और शिक्षकों (Teachers) व बड़ों का आशीर्वाद (blessings) लेते हैं. स्कूल में ये बच्चे हाथों की साफ-सफाई (Cleanliness) में इन्हीं साबुनों का उपयोग करते हैं. इन मासूम स्वच्छता दूतों (Sanitation messengers) की ये छोटी पहल उन्हें तो स्वच्छ रखती ही है, कोरोना संक्रमण (Coronavirus infection) के दौर में भी ग्रामीणों के लिए ये काफी कारगर साबित हुई. पढ़िए कोरोना काल में स्वच्छता की मिसाल पेश करती बाल संसद के साबुन बैंक पर गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

जन्मदिन पर लेते हैं आशीर्वाद, जमा करते हैं साबुन

आप अपने जन्मदिन पर केक काटते होंगे. टॉफियां बांट कर खुशियां मनाते होंगे, लेकिन झारखंड के सरकारी स्कूलों के बच्चे स्वच्छता की मिसाल पेश कर रहे हैं. ये स्वच्छता दूत अपने जन्मदिन पर न तो केक काटते हैं और न ही टॉफियां बांटते हैं. ये जन्मदिन पर बड़ों और शिक्षकों का आशीर्वाद लेते हैं और स्कूल के साबुन बैंक में साबुन लाकर जमा करते हैं. हर विद्यार्थी अपना जन्मदिन ऐसे ही मनाता है. मध्याह्न भोजन करने से पहले और उसके बाद तथा शौचालय जाने के बाद हाथों की साफ-सफाई के लिए बच्चे इसी साबुन का उपयोग करते हैं.

स्वच्छ बच्चे, स्वच्छ विद्यालय अभियान

करीब दो वर्ष पहले स्वच्छ बच्चे, स्वच्छ विद्यालय अभियान की शुरुआत की गयी थी. इसके तहत सरकारी स्कूलों में साबुन बैंक बनाये गये थे, ताकि बच्चे स्वच्छता को लेकर जागरूक हो सकें. इतना ही नहीं, उनके अभिभावकों को भी जागरूक करना उद्देश्य था. इसके लिए स्कूलों के शिक्षक, बाल संसद और स्कूल प्रबंधन समिति की ओर से पहल की गयी. स्कूल के बच्चों को अपने जन्मदिन पर स्कूलों में टॉफियां लाने की बजाय साबुन लाने के लिए प्रेरित किया जाने लगा. शुरूआत में स्कूलों के शिक्षक व स्थानीय मुखिया की ओर से साबुन बैंक के लिए साबुन उपलब्ध कराये गये. इसके बाद धीरे-धीरे मासूमों ने अपने-अपने जन्मदिन पर साबुन जमाकर साबुन बैंक के सपने को साकार कर दिया. इस तरह स्वच्छ बच्चे, स्वच्छ विद्यालय अभियान का असर दिखने लगा.

स्वच्छता दूत घर पर हैं, लेकिन साबुन बैंक दिखा रहा कमाल

देशव्यापी लॉकडाउन और अनलॉक 1.0 के दौरान शैक्षणिक संस्थान बंद होने के कारण बच्चे अपने घरों में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई करने को विवश हैं. इसके बावजूद इनके साबुन बैंक से ग्रामीण स्वच्छता का पाठ पढ़ रहे हैं. कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भी स्वच्छता को लेकर इनकी पहल काफी कारगर साबित हुई. शिक्षक, स्कूल प्रबंधन समिति एवं मुखिया के माध्यम से इनके गिलहरी प्रयास द्वारा जमा साबुन से तैयार साबुन बैंक से साबुन निकालकर उसका ग्रामीणों के बीच वितरण किया गया और उन्हें स्वच्छ रहने को लेकर प्रेरित किया गया. इनका साबुन बैंक काफी काम आया. इसकी लोगों ने काफी सराहना भी की. झारखंड के सात जिलों में करीब 10 हजार साबुन का वितरण ग्रामीणों के बीच किया गया है.

कोरोना काल में भी काम आया साबुन बैंक

बोकारो के पेटरवार प्रखंड की बुंडू पंचायत के राजकीय बालिका मध्य विद्यालय में 358 विद्यार्थी हैं. आठवीं कक्षा तक के इस स्कूल में 191 छात्राएं एवं शेष छात्र हैं. बाल संसद की स्वास्थ्य मंत्री आठवीं कक्षा की छात्रा त्रिषा कुमारी साबुन बैंक से हर दिन दो साबुन निकालती हैं, ताकि हैंड वाश यूनिट व बेसिन में बच्चे अच्छी तरह हाथ साफ कर सकें. इससे स्कूली बच्चे तो स्वच्छ रहते ही हैं, लेकिन कोरोना संकट की इस घड़ी में जब स्वच्छता पर इतना जोर है और देशव्यापी लॉकडाउन और अनलॉक 1.0 है, तो ऐसे वक्त में भी इनके साबुन बैंक ने आम लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया. इन्हीं के साबुन बैंक से जरूरतमंद ग्रामीणों के बीच साबुन का वितरण कर साफ-सफाई को लेकर इन्हें प्रेरित किया गया.

साढ़े पांच हजार साबुन बैंक

झारखंड के सात जिलों में साबुन बैंक संचालित है. यहां के 700 से अधिक सरकारी स्कूलों में 5473 साबुन बैंक हैं. बाल संसद इसका संचालन करती है. स्वास्थ्य मंत्री के पास साबुन बैंक की चाभी होती है, जो जरूरत के अनुसार साबुन निकालकर देता है.

जिला साबुन बैंक

गिरिडीह 1440

पलामू 1133

बोकारो 985

गोड्डा 956

लोहरदगा 390

रामगढ़ 382

चतरा 187

कुल 5473

टॉफी की जगह साबुन लाने के लिए किया प्रेरित : भागीरथ प्रसाद बख्शी

बोकारो जिले के राजकीय बालिका मध्य विद्यालय, पेटरवार के प्रभारी प्रधानाध्यापक भागीरथ प्रसाद बख्शी बताते हैं कि दो साल पहले स्कूल में बाल संसद, शिक्षक और स्कूल प्रबंधन समिति के जरिये साबुन बैंक बनाया गया था. बुंडू पंचायत के मुखिया अजय कुमार सिंह ने बॉक्स और साबुन उपलब्ध कराकर साबुन बैंक को आकार दिया था. इसके बाद बच्चों को अपने जन्मदिन पर शिक्षकों को टॉफी देने की बजाय साबुन लाने के लिए प्रेरित किया जाने लगा. ये पहल रंग लाई. जन्मदिन पर बच्चे साबुन लाने लगे और धीरे-धीरे साबुन जमा होने लगा. इस तरह साबुन बैंक बन गया. बच्चों को स्वच्छ रखने में ये काफी मददगार साबित हुआ. इतना ही नहीं, कोरोना संकट में भी ये पहल काफी कारगर साबित हुई. इन्हीं के साबुन बैंक से साबुन निकालकर जरूरतमंदों के बीच उसका वितरण किया गया.

कोरोना संकट में काम आया बच्चों का साबुन बैंक : अजय कुमार सिंह

बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड की बुंडू पंचायत के मुखिया अजय कुमार सिंह बताते हैं कि उनकी पंचायत में एक मध्य विद्यालय एवं 4 नव प्राथमिक विद्यालय हैं. इन सभी में साबुन बैंक हैं. कोरोना संकट के दौर में बाल संसद के साबुन बैंक की पहल रंग लाई. जरूरतमंदों के बीच 200 से अधिक साबुन का वितरण कर स्वच्छ रहने के लिए प्रेरित किया गया. छोटे बच्चों द्वारा बड़ों को बड़ी खुशियां दी गयीं. अपने स्तर से भी उन्होंने हाथ धोने, नहाने व कपड़ा धोने के लिए साबुन बांटे. साबुन बैंक से स्कूलों में बच्चे स्वच्छ तो रह ही रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी से निपटने में स्वच्छता को लेकर भी ये इस कदर कारगर साबित होगा, इसका उन्हें अंदाजा नहीं था.

कोरोना महामारी से निपटने में भी काम आया बच्चों का साबुन : ढपरु साव

गिरिडीह जिले के पचंबा स्थित शारदा कन्या मध्य विद्यालय के स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ढपरु साव कहते हैं कि बाल संसद के साबुन बैंक का उपयोग कोरोना के संक्रमण से निपटने में स्वच्छता को लेकर किया गया. हरिजन मोहल्ले में करीब 170 साबुन का वितरण किया गया. उन्हें साफ रहने के लिए प्रेरित भी किया गया. स्कूली बच्चों का यह सराहनीय प्रयास इस महामारी में भी काम आ गया. पहले उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से निपटने में भी साबुन बैंक इतना कारगर साबित होगा. खासकर देशव्यापी लॉकडाउन में जरूरतमंदों को स्वच्छ रखने में इतना फायदेमंद होगा.

कोरोना काल में भी कारगर साबित हुआ साबुन बैंक : डॉ प्रशांत दास

यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख डॉ प्रशांत दास कहते हैं कि स्वच्छता को लेकर यूनिसेफ की ओर से दो वर्ष पहले साबुन बैंक की पहल की गई थी. इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी स्वच्छता को लेकर जागरूक करना था. इसके लिए स्कूलों की बाल संसद, शिक्षक और प्रबंधन समितियों के जरिये साबुन बैंक की पहल की गई थी. उनका उद्देश्य था कि स्वच्छता के प्रति न केवल बच्चों को, बल्कि उनके अभिभावकों को भी जागरुक किया जा सके. इससे स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर भी फर्क पड़ेगा. इससे स्कूलों में बच्चे तो स्वच्छ होते ही रहे, कोरोना संक्रमण के दौर में भी इससे स्वच्छता को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी. जरुरतमंदों को स्वच्छ रहने में काफी मदद मिल रही है. कोरोना काल में भी बच्चों का साबुन बैंक काफी कारगर साबित हुआ.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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