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दो महीने से 25 हजार आबादी को नहीं मिल रहा पानी

खलारी की पांच पंचायतों की करीब 25 हजार आबादी को दो महीनों से पानी नहीं मिल रहा है. बुकबुका महावीरनगर में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का 5.5 एमएलडी का वाटर फिल्टर प्लांट है.

मोटर खराब होने से खलारी की पांच पंचायतों में जलापूर्ति ठप

जल शुल्क वसूली के नियम में उलझकर रह गया वाटर फिल्टर प्लांट

प्रतिनिधि, खलारी

खलारी की पांच पंचायतों की करीब 25 हजार आबादी को दो महीनों से पानी नहीं मिल रहा है. बुकबुका महावीरनगर में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का 5.5 एमएलडी का वाटर फिल्टर प्लांट है. इसी से प्रखंड के बुकबुका, खलारी, चुरी दक्षिणी, हुटाप और चुरी उत्तरी पंचायत के ग्रामीणों को पानी की आपूर्ति की जाती है. करंजतोरा स्थित सपही नदी में संप बनाया गया है. प्लांट को सपही नदी का पानी भेजा जाता है. संप में पानी खींचकर भेजने के लिए दो बड़े-बड़े मोटर लगाए गए हैं. बिजली नियंत्रण के लिए पैनल बोर्ड बनाया गया है. मोटर और पंप के बीच बियरिंग लगे हैं. इसी संप में एक साथ कई खराबी आ गयी है. पहले इलेक्ट्रिकल पैनल में खराबी आई, जिसे ठीक कर लिया गया. इसके बाद बियरिंग में खराबी आई, उसे भी बदल दिया गया. अब दोनों बड़े मोटरों में खराबी आ गयी है. बताया जा रहा है कि दोनों मोटर के क्वायल बदलने होंगे.

त्योहारी सीजन में बंद जलापूर्ति से बढ़ी परेशानी :

नवरात्र में भी लोगों को पानी नहीं मिला. अब दिवाली और महापूर्व छठ आने वाला है. ऐसे में पंचायत के लोगों को पानी नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गयी है. विडंबना है कि करोड़ों की लागत से निर्मित प्लांट से कभी भी लोगों को प्रतिदिन पानी नहीं मिल सका. साल के चार महीने सपही नदी में पानी नहीं होने का कारण बताकर जलापूर्ति बंद रहती है. अब नदी में पर्याप्त पानी है तब तकनीकी कारण से जलापूर्ति ठप है.

मुखिया को नहीं है जल शुल्क वसूली का अधिकार :

इस प्लांट का संचालन बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना की कमेटी करती है. जलापूर्ति वाली पंचायतों के मुखिया ही इस कमेटी के अध्यक्ष से लेकर सदस्य तक हैं. कमेटी की अध्यक्ष खलारी की मुखिया तेजी किस्पोट्टा ने बताया कि पैसे की कमी के कारण यह नौबत आयी है. पांच पंचायतों में तीन हजार से अधिक उपभोक्ता हैं. इसमें सर्वाधिक उपभोक्ता बुकबुका पंचायत में हैं. सरकारी नियम के अनुसार उपभोक्ताओं से मासिक जल शुल्क वसूलने का अधिकार संबंधित पंचायत की जलसहिया को है. वसूले गए जल शुल्क का दस प्रतिशत जल सहिया को कमीशन मिलता है.

जल शुल्क देने में कर रहे अनाकानी :

जल सहिया को सभी उपभोक्ताओं से जल शुल्क नहीं मिल पा रहा है. संबंधित मुखिया जल शुल्क वसूलने की जबाबदेही किसी दूसरे को नहीं दे सकते हैं. जल शुल्क वसूली जलसहिया के अधिकार क्षेत्र में है. मरम्मत छोड़ कर प्रतिमाह केवल श्रमिकों की मजदूरी व सफाई करने वाले केमिकल की खरीदारी में करीब 80 हजार रुपये खर्च है. जल शुल्क की वसूली ठीक से नहीं होने से हमेशा फंड की कमी रहती है.

बीडीओ करवा रहे हैं मोटर की मरम्मत :

पिछले दिनों बीडीओ की अध्यक्षता में पानी को लेकर बैठक हुई. बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना की कमेटी द्वारा हाथ खड़ा करने के बाद बीडीओ संतोष कुमार ने 15वें वित्त के प्रखंड को-आर्डिनेटर को एक लाख रुपये खर्च कर मोटर मरम्मत करने का निर्देश दिया है. इससे एक मोटर को ठीक कर लिया गया है. दूसरे मोटर को दुरुस्त करने का काम चल रहा है. करीब 15 दिन और समय लगने का अनुमान है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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