रांची.
झारखंड ग्रामीण विकास की जोहार परियोजना से राज्य के लोगों की स्थिति बदली है. योजना जून 2024 में समाप्त हो गयी है. इस योजना का लक्ष्य परिवारों की वास्तविक औसत वार्षिक घरेलू आय में 30 फीसदी की वृद्धि करना था. इसकी तुलना में झारखंड में लक्षित परिवारों की आय में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है. इस परियोजना से एक लाख अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोग जुड़े हैं. 70 हजार महिलाएं जुड़ी हैं. कुल दो लाख किसानों को इस परियोजना का लाभ दिया जा चुका है. यह झारखंड सरकार की एक एकीकृत आजीविका परियोजना है, जिसे विश्व बैंक (अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक) से 70 फीसदी ऋण सहायता के साथ कार्यान्वित किया गया. झारखंड सरकार ने परियोजना लागत में अपने प्रत्यक्ष योगदान के रूप में अतिरिक्त 30 फीसदी दिया. यह परियोजना 17 जिलों (गढ़वा, चतरा, कोडरमा, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा और साहेबगंज को छोड़ कर) के 68 ब्लॉकों में चलायी गयी. जोहार का उद्देश्य चुनिंदा क्षेत्रों में ग्रामीण घरेलू आय को बढ़ाना और विविधता लाना था. जून 2024 में परियोजना के समापन पर कुल बजट 833.34 करोड़ रुपये का लगभग 98 फीसदी खर्च कर दिया गया. परियोजना का उद्देश्य लक्षित लाभार्थियों के लिए चयनित कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में दो लाख परिवारों की घरेलू आय को बढ़ाना और विविधता लाना था.कई उल्लेखनीय काम हुए इस परियोजना से
जोहार परियोजना ने किसानों को उत्पादक समूहों और किसान उत्पादक संगठनों में संगठित किया. उच्च मूल्य वाले कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन और वन उत्पादों से आय के अवसर बढ़ाये गये. इस दौरान 3922 उत्पादक समूह बनााये गये. इसमें दो लाख से अधिक परिवारों को शामिल किया गया. 21 एफपीओ पंजीकृत किया गया. इसके तहत 35 ग्रामीण व्यापार केंद्र और 28 पशुधन सेवा केंद्र शुरू किये गये. इनका कुल कारोबार 205 करोड़ रुपये का रहा. एफपीओ के सदस्यों ने 14 करोड़ की शेयर पूंजी जुटायी और 3.5 करोड़ की बैंक ऋण सुविधा से जुड़े. 39 ब्लॉकों में कस्टम हायरिंग सेंटर शुरू किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

