Jharkhand Politics: जयराम महोत की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) की तेज-तर्रार युवा महिला नेता बेबी महतो ने हेमंत सोरेन की नयी ‘उत्पाद नीति 2025’ का पुरजोर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि नयी उत्पाद नीति को मंजूरी झारखंड सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी है. उन्होंने कहा कि इस नीति को बदलने की जरूरत है. बेबी ने कहा है कि सरकार जिस तरह से शराब बेचने को लेकर गंभीर है, उसी तरह शिक्षा और रोजगार को लेकर भी गंभीर होती, तो आज राज्य इतना पिछड़ा नहीं होता.
‘गांवों में शराबबंदी के लिए एकजुट हो रहीं महिलाएं’
जेएलकेएम की केंद्रीय सचिव बेबी महतो ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में महिला समूह शराबबंदी के लिए एकजुट हो रही हैं. यह निर्णय सरकार ने उस समय लिया, जब झारखंड अपने युवावस्था में है. झारखंड 25वें साल में प्रवेश कर चुका है. बेबी महतो ने आरोप लगाया कि इसी अवस्था में झारखंड को खत्म करने की साजिश रची जा रही है.
‘सरकार की शराब नीति से ग्रामीणों को होगी परेशानी’
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं रोज शराबबंदी के लिए आंदोलन कर रहीं हैं. इसे नजरअंदाज करते हुए झारखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की बिक्री को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी होगी. शराब की लत से झारखंड पीछे जा रहा हैं. बेबी महतो ने कहा कि अभी शराब की बिक्री बढ़ाने की बजाय पूरे झारखंड में शराबबंदी पर जोर देने की जरूरत है.
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‘शराबबंदी नहीं हुई, तो झारखंड का भविष्य अंधकारमय’
जेएलकेएम की महिला नेता ने कहा कि यदि शराबबंदी नहीं हुई, तो झारखंड का आने वाला भविष्य अंधकारमय होगा. झारखंड में संसाधनों की कमी नहीं है. बावजूद इसके, आज भी झारखंडी गरीब है. इसका मूल कारण यही है कि यहां के लोग नशे में रहते हैं.
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झारखंड को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा और रोजगार पर जोर दे सरकार – बेबी महतो
बेबी महतो ने कहा कि झारखंड को यदि आगे बढ़ाना है, तो सरकार को शिक्षा नीति को बेहतर बनाकर रोजगार देने की पहल करनी चाहिए, न कि शराब की बिक्री को बढ़ावा देकर यहां की आम जनता को नशा करने के लिए प्रेरित करे. उन्होंने कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का हाल बेहाल है. सैकड़ों स्कूल हैं, जो एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. कई स्कूलों में शिक्षक नहीं होने की वजह से स्कूलों को मर्ज करना पड़ा. उन स्कूलों को अब तक नहीं खोला गया.
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