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झारखंड हाइकोर्ट ने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत राज्य सरकार से पूछा- कितने सरकारी स्कूलों के पास है खेल का मैदान

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सरकारी विद्यालय भी आते हैं? राज्य के कितने विद्यालयों के पास प्ले ग्राउंड है? जिनके पास प्ले ग्राउंड नहीं हैं, उनके लिए क्या सरकार भूमि का प्रबंध करेगी, ताकि प्ले ग्राउंड मिल सके?

Jharkhand News, Ranchi News, Right to education act रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शिक्षा के अधिकार कानून (Right to education law ) (आरटीइ एक्ट) के तहत राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2019 में लागू संशोधित नियमावली को चुनौती देनेवाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि प्राइवेट स्कूलों की मान्यता के लिए संशोधित नियमावली में भूमि का जो प्रावधान किया गया है और जो शर्तें लगायी गयी हैं, वह सरकारी विद्यालयों के मामले में क्यों नहीं लागू होगा?

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सरकारी विद्यालय भी आते हैं? राज्य के कितने विद्यालयों के पास प्ले ग्राउंड है? जिनके पास प्ले ग्राउंड नहीं हैं, उनके लिए क्या सरकार भूमि का प्रबंध करेगी, ताकि प्ले ग्राउंड मिल सके?

खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि नियमावली में संशोधन के पहले क्या-क्या देखा गया. राज्य में कितना ट्राइबल लैंड है, कितना नॉन ट्राइबल लैंड है, कितना फॉरेस्ट लैंड है. नियमावली संशोधित करने के पूर्व जमीन की प्रकृति का ध्यान रखा गया था क्या. खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 16 अप्रैल की तिथि निर्धारित की.

स्कूलों के लिए जमीन जुटाना काफी मुश्किल :

इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता सुमित गाडोदिया और अधिवक्ता राजीव नंदन प्रसाद ने पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि आरटीइ के तहत छह वर्ष से लेकर 14 साल तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है. राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में बनायी गयी नियमावली में 2019 में संशोधन कर दिया.

संशोधित नियमावली में मान्यता के लिए जमीन की शर्तें जोड़ दी गयीं. झारखंड में जमीन की जो प्रकृति है, वैसी स्थिति में स्कूलों को जमीन जुटाना काफी मुश्किल है. संशोधित नियमावली एक्ट के विरुद्ध है. यह असंवैधानिक है. यह प्रावधान आरटीइ एक्ट व संविधान के आर्टिकल 21ए के खिलाफ है. राज्य सरकार एक्ट के दायरे में ही नियमावली बना सकती है.

17,983 स्कूलों के पास ही प्ले ग्राउंड

उन्होंने खंडपीठ को यह भी बताया कि सूचनाधिकार से प्राप्त सूचना में बताया गया है कि 32,741 सरकारी स्कूल हैं. इनमें से 17,983 स्कूलों के पास ही प्ले ग्राउंड है. शेष अन्य स्कूलों के पास प्ले ग्राउंड नहीं है. प्राइवेट स्कूलों को मान्यता के लिए जमीन की शर्त जोड़ दी गयी है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, झारखंड प्राइवेट स्कूल ट्रस्ट हजारीबाग, राम प्रकाश तिवारी व अन्य की अोर से अलग-अलग याचिका दायर की गयी है. राज्य सरकार की संशोधित नियमावली में जमीन के प्रावधान को चुनाैती दी गयी है.

प्रार्थियों की दलील

राज्य में 32,741 सरकारी स्कूल हैं और इनमें से 17,983 स्कूलों के पास ही प्ले ग्राउंड है. जबकि प्राइवेट स्कूलों के लिए जमीन की अनिवार्य शर्त जोड़ी गयी है.

यह है मामला

राज्य की संशोधित नियमावली के अनुसार शहरी क्षेत्र में एक से आठ कक्षा तक के प्राइवेट स्कूल के पास 75 डिसमिल जमीन, ग्रामीण क्षेत्र में एक एकड़ जमीन होनी चाहिए. उसी प्रकार एक से पांच कक्षा तक के स्कूल के पास 40 डिसमिल जमीन शहर में, जबकि 60 डिसमिल जमीन ग्रामीण क्षेत्र में संचालित प्राइवेट स्कूल के पास होनी चाहिए. संसद द्वारा बनाये गये कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है.

Posted By : Sameer Oraon

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