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सीएम हेमंत के निर्देश की अनदेखी, रोजगार के लिए होनी थी इन योजनाओं की शुरूआत लेकिन 4 जिले को छोड़ नहीं हो सका शुरू

इसके बाद भी जिलों की स्थिति में सुधार नहीं हुई है. राज्य में चार जिलों को छोड़ अन्य सभी में इन निर्देश का पालन नहीं हो रहा है. इन जिलों के गांव-टोलों में औसतन दो से तीन योजनाओं पर ही काम हो रहा है. केवल गढ़वा, सिमडेगा, रामगढ़ और बोकारो में स्थिति ठीक है. सबसे खराब स्थिति दुमका, गिरिडीह, प सिंहभूम और खूंटी की है. इन जिलों के हर गांव-टोला में औसतन दो योजनाएं भी नहीं ली जा सकी हैं.

Jharkhand News, Jharkhand Migrant Workers News रांची : प्रवासी मजदूर के साथ ही स्थानीय मजदूरों को अपने ही गांव-टोला में रोजगार उपलब्ध कराने की योजना सफल नहीं हो पा रही है, क्योंकि इन गांव टोला में तय संख्या से कम योजनाएं ली जा रही हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी जिलों को गांव-टोलों में ग्रामीणों को रोजगार देने के लिए छह से सात योजनाओं के संचालन का निर्देश दिया था. ग्रामीण विकास मंत्री और सचिव ने भी इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिये थे.

इसके बाद भी जिलों की स्थिति में सुधार नहीं हुई है. राज्य में चार जिलों को छोड़ अन्य सभी में इन निर्देश का पालन नहीं हो रहा है. इन जिलों के गांव-टोलों में औसतन दो से तीन योजनाओं पर ही काम हो रहा है. केवल गढ़वा, सिमडेगा, रामगढ़ और बोकारो में स्थिति ठीक है. सबसे खराब स्थिति दुमका, गिरिडीह, प सिंहभूम और खूंटी की है. इन जिलों के हर गांव-टोला में औसतन दो योजनाएं भी नहीं ली जा सकी हैं.

बाहर से आये और यहां रहनेवाले मजदूरों की समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया था कि उनको उनके ही गांव-टोला में रोजगार दिया जाये. इससे ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार दिया जा सकेगा. इस उद्देश्य से ज्यादा योजनाएं लेने को कहा गया था, लेकिन योजनाएं कम ली जा रही हैं. ऐसे में मजदूरों को काम के लिए गांव के बाहर जाना होगा, जिससे रोजगार प्रभावित होगा.

कर्मियों की उदासीनता है कारण :

क्षेत्रीय पदाधिकारियों का कहना है कि पंचायत से लेकर प्रखंड तक कर्मचारी और अधिकारी की उदासीनता से ऐसा हो रहा है. बीडीओ, बीपीओ, रोजगार सेवक हर एक की जिम्मेवारी बनती है कि वे योजनाएं स्वीकृत करा कर चालू करायें.

इन योजनाओं को शुरू करने का है प्रावधान

  • जल शक्ति अभियान की योजनाएं वाटर टैंक, वाटर बॉडी का रिनोवेशन, जल संरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वाटर

  • शेड डेवलपमेंट, जलस्रोतों पर काम आदि

  • बिरसा हरित ग्राम योजना से पौधा के लिए गड्ढा खोदना, पौधा लगाना, बचाव के कार्य करना आदि

  • दीदी बाड़ी योजना से अपने ही घर के बगीचे में सब्जी आदि का उत्पादन करना

  • कंपोस्ट पीट का निर्माण करना

  • प्रत्येक टोला में दो-दो सोक पीट की योजना

  • टीसीबी मेड़बंदी, नाला पुनर्निर्माण

  • वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना से खेल मैदान तैयार करने सहित अन्य कार्य

  • सिंचाई कूप निर्माण की योजना

  • पूर्व की लंबित योजनाएं आदि

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar News Desk
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