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Jharkhand: कभी बूढ़ा पहाड़ था नक्सलियों का गढ़, दशकों बाद पुलिस ने किया पूरा कब्जा, जानें पूरी रणनीति

30 सालों से ज्यादा समय तक नक्सलियों के कब्जे वाले बूढ़ा पहाड़ अब पूरी तरह नक्सल मुक्त हो गया है. पुलिस ने पहाड़ की चोटी पर कैंप स्थापित कर लिया. नक्सलियों को हटाने के लिए पुलिस एक साल से रणनीति पर काम कर रही थी. जल्द ही डीजीपी नीरज सिन्हा बूढ़ा पहाड़ निरीक्षण के लिए जा सकते हैं.

रांची: झारखंड पुलिस ने पहली बार 30 वर्षों से अधिक समय तक नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को पूरी तरह मुक्त करा लिया है. कब्जा मुक्त होने के बाद झारखंड पुलिस ने पहली बार शुक्रवार को बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर एमआइ हेलीकॉप्टर उतारा. आइजी अभियान एवी होमकर ने बताया कि कब्जे के बाद बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर कैंप स्थापित कर लिया गया है. अब वहां जवानों को रसद और दूसरे सामान की आपूर्ति हेलीकॉप्टर और दूसरे साधनों से की जायेगी, जिससे जवानों का कैंप वहां बना रहे और नक्सली वहां फिर से अपना ठिकाना नहीं बना सकें. जल्द ही डीजीपी नीरज सिन्हा बूढ़ा पहाड़ निरीक्षण के लिए जा सकते हैं.

आइजी अभियान ने बताया कि 1990 के दशक में बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों का कब्जा रहा था. वहां पर हमेशा सेंट्रल कमेटी के नक्सली रहते थे. जिस कारण वहां नक्सलियों की संख्या अधिक रहती थी. पुलिस ने बीच-बीच में कई अभियान चलाये, लेकिन बूढ़ा पहाड़ पर कभी पूरी तरह कब्जा नहीं हो सका था. वर्ष 2018 के जून माह में अभियान के दौरान जब पुलिस की टीम ने बूढ़ा पहाड़ पर चढ़ने का प्रयास किया, तो नक्सलियों ने आइइडी विस्फोट किया था.

जिसमें छह जवान शहीद हो गये थे. इसके बाद नक्सलियों के खिलाफ अभियान धीमा हो गया था. बीच- बीच में अभियान के दौरान कुछ सफलताएं मिलती रहीं, लेकिन बूढ़ा पहाड़ को पुलिस कभी नक्सलियों के कब्जे से पूरी तरह मुक्त नहीं करा सकी थी.

एक साल से रणनीति पर हो रहा था काम : 

बूढ़ा पहाड़ को रणनीति के तहत नक्सलियों से कब्जा मुक्त कराने के लिए पुलिस पिछले एक साल से काम रही थी. इसके लिए एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर, आइजी अभियान और एसटीएफ डीआइजी अनूप बिरथरे के नेतृत्व में टीम बनायी गयी थी. टीम पहाड़ के निचले हिस्से में रणनीति के तहत धीरे- धीरे कैंप स्थापित करने लगी. हाल में ही पहाड़ की चोटी पर शीर्ष नक्सलियों के जमा होने की सूचना मिली थी.

सौरभ उर्फ मार्कुस बाबा, रीजनल कमेटी मेंबर नवीन यादव, रीजनल कमेटी मेंबर छोटू खैरवार के अलावा बूढ़ा पहाड़ में 50 नक्सलियों के जमा होने की सूचना पर ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू किया गया. इसके बाद पहाड़ की चोटी पर नक्सलियों के ठिकाने पर लगातार फायरिंग की गयी. जिसके बाद नक्सली पहाड़ की चोटी से निकले और सभी वहां से भाग निकले. जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस का अभियान जारी है. भागे हुए कुछ नक्सली सरेंडर करने की इच्छा जाहिर करते हुए पुलिस से संपर्क कर रहे हैं.

पारसनाथ पहाड़ भी होगा नक्सल मुक्त 

बूढ़ा पहाड़ के बाद अब पारसनाथ पहाड़ को भी नक्सलियों से पूरी तरह मुक्त कराने की तैयारी शुरू हो गयी है. पारसनाथ में नक्सलियों का गढ़ माने जानेवाले मोहनपुर और बेलाटांड़ में पहुंच कर कैंप स्थापित किया जा रहा है. इसी तरह चाईबासा में नक्सलियों का गढ़ माने जानेवाले चितपुल और सरायकेला के लुदीबेड़ा में पहुंच कर पुलिस कैंप स्थापित कर चुकी है. पारसनाथ की ऊपरी चोटी में अब कैंप स्थापित किया जायेगा. ये वे स्थान हैं, जहां दिन में भी पुलिस पहले अभियान के दौरान घबराती थी.

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