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गुड न्यूज : तेजी से फैलते संक्रमण के बीच झारखंड के सिर्फ इन दो अस्पातालों से 45 दिनों में 1200 से ज्यादा मरीज स्वास्थ्य

इससे यह सिद्ध होता है कि मरीजों का इतना ज्यादा लोड होने के बाद भी सरकारी व्यवस्था ज्यादा असरदार है. पिछले 45 दिनों में रिम्स व सदर अस्पताल से 1262 कोरोना संक्रमित स्वस्थ होकर अपने घर लौटे. इसमें कई गंभीर संक्रमित भी शामिल हैं. पढ़िये राजीव पांडेय व बिपिन सिंह की रिपोर्ट.

Corona Update In Jharkhand, Ranchi Coronavirus Update रांची : सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था की बातें लगातार होती हैं. ऑक्सीजन का समय पर नहीं मिलना, दवाओं के लिए मशक्कत करना व सही समय पर मरीजों तक खाना नहीं पहुंचा आदि. लेकिन, इसी सरकारी व्यवस्था ने कोरोना काल में सैकड़ों गंभीर मरीजों की जान भी बचायी.

इससे यह सिद्ध होता है कि मरीजों का इतना ज्यादा लोड होने के बाद भी सरकारी व्यवस्था ज्यादा असरदार है. पिछले 45 दिनों में रिम्स व सदर अस्पताल से 1262 कोरोना संक्रमित स्वस्थ होकर अपने घर लौटे. इसमें कई गंभीर संक्रमित भी शामिल हैं. पढ़िये राजीव पांडेय व बिपिन सिंह की रिपोर्ट.

रिम्स से 710 मरीज ठीक होकर अपने घर लौटे

रांची. रिम्स के कोविड अस्पताल में पिछले 45 दिनों (मार्च के मध्य से एक मई तक) में 1450 से ज्यादा कोरोना संक्रमितों को विभिन्न वार्ड में भर्ती किया गया. मरीजों का इलाज वेंटिलेटर, हाई फ्लो ऑक्सीजन व सामान्य वार्ड में भर्ती कर किया गया. रिम्स के आंकड़े बताते हैं कि इन 45 दिनों में लगभग 710 संक्रमित स्वस्थ होकर अपने घर लौटे हैं.

अप्रैल महीने में जब कोरोना का फैलाव तेजी से हो रहा था, उस समय यहां दर्जनों संक्रमितों को भर्ती किया गया. अप्रैल महीने में करीब 510 संक्रमित ठीक हुए. रिम्स टास्क फोर्स के डॉक्टरों का कहना है कि रिम्स में इस दौरान कई संक्रमितों की मौत भी हुई. हालांकि ये लोग गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुंचे थे. अगर सही समय पर अस्पताल पहुंच जाते, तो उनकी जान भी बचायी जा सकती थी. रिम्स में अभी 580 संक्रमित भर्ती हैं. इनमें से 107 गंभीर संक्रमितों का इलाज विभिन्न आइसीयू में चल रहा है.

इंवेजिव वेंटिलेटर वाले कई गंभीर संक्रमित भी ठीक हुए :

रिम्स के ट्रॉमा सेंटर के आइसीयू इंचार्ज डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने बताया कि गंभीर संक्रमितों को भी रिम्स से ठीक कर घर भेजा गया है. ऑक्सीजन में ज्यादा गिरावट वाले संक्रमितों को इंवेजिव वेंटिलेटर पर रखा गया. ऑक्सीजन बाहर से फेफड़ा तक पहुंचा गया, ताकि फेफड़ा जल्द से जल्द स्वस्थ हो. इसमें हमें सफलता भी मिली. इंवेजिव वेंटिलेटर पर जाने के बाद भी दर्जनों संक्रमितों को उससे बाहर निकला गया. ऐसे मरीजों ने कोरोना को हराया.

Posted By : Sameer Oraon

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