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Jharkhand Bandh: झारखंड की राजधानी रांची में ‘सरना स्थल’ (पवित्र आदिवासी धार्मिक स्थल) के पास फ्लाईओवर के रैंप के निर्माण के विरोध में विभिन्न संगठनों के आह्वान पर बुधवार 4 जून को झारखंड बंद का मिलाजुला असर दिखा. गुमला जिले में बंद अभूतपूर्व रहा, तो सिमडेगा, हजारीबाग, चतरा में बंद का कोई असर नहीं रहा. लोहरदगा जिले में बंद का आंशिक असर दिखा. बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने शहरों में कई जगह सड़क को जाम कर दिया.
Jharkhand Bandh: रांची में दिखा बंद का असर
प्रदर्शनकारियों ने राजधानी रांची को हजारीबाग, गुमला और डालटनगंज से जोड़ने वाले प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया. राज्य की राजधानी में बंद का प्रभाव दिखा, लेकिन पड़ोसी जिलों में बहुत ज्यादा असर नहीं दिखा. जमशेदपुर में बंद का कोई असर नहीं था.

एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जाने वाले लोग परेशान
प्रदर्शनकारियों ने रांची में हिनू, हरमू, पिस्का मोड़, कांके, खेलगांव, कडरू और मोराबादी में प्रदर्शन और सड़क जाम किया, जिससे यहां हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर जाने वाले यात्रियों सहित अन्य यात्रियों को असुविधा हुई. सिरमटोली में सरना स्थल के पास रैंप के निर्माण के विरोध में बंद का आह्वान किया गया था.
आदिवासी नेता कर रहे फ्लाईओवर के रैंप का विरोध
आदिवासी नेताओं ने रैंप के निर्माण का कड़ा विरोध किया. उन्होंने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर ‘आदिवासी धार्मिक पहचान को मिटाने’ का प्रयास करने का आरोप लगाया. साथ ही चेतावनी दी कि अगर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे तीव्र विरोध प्रदर्शन करेंगे.
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विधानसभा से संसद तक मार्च करने की चेतावनी
एक आदिवासी नेता ने कहा, ‘अगर हमारी आवाज को नजरअंदाज किया गया, तो हम विधानसभा और फिर संसद तक मार्च करेंगे.’ एक अन्य प्रदर्शनकारी राजकिशोर ने इस बात पर जोर दिया कि यह मुद्दा निर्माण से कहीं आगे का है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह आदिवासी पहचान को कमजोर करने की व्यापक साजिश है.’

एक आदिवासी नेता ने कहा- फिर 6 जून को करेंगे बंद
उन्होंने कहा, ‘यह केवल रैंप का मामला नहीं है. यह हमारे अस्तित्व का मामला है. अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गयी, तो हम 6 जून को फिर से बंद करेंगे.’ पूरे राज्य में खासतौर पर रांची में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे.
एसडीएम ने कहा- स्थिति नियंत्रण में
‘सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट’ उत्कर्ष कुमार ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और हिंसा की कोई खबर नहीं है. उन्होंने कहा, ‘बंद के बावजूद आपातकालीन सेवाएं जारी हैं.’ प्रदर्शनकारियों ने ‘झारखंड सरकार होश में आओ’, ‘हमारी जमीन हड़पना बंद करो’ और ‘सरना कोड लागू करना होगा’ जैसे नारे लगाये.

बंद से पूर्व आदिवासी नेताओं ने निकाला था मशाल जुलूस
कई आदिवासी संगठनों ने मंगलवार शाम को मशाल जुलूस निकालकर रैंप को तत्काल हटाने की मांग की थी, क्योंकि उनका कहना था कि इससे सरना स्थल तक पहुंच बाधित होगी और इसकी पवित्रता से समझौता होगा.
आदिवासी संगठनों की ये हैं प्रमुख मांगें
आदिवासी संगठनों की प्रमुख मांगों में सरना स्थल के पास नवनिर्मित रैंप को ध्वस्त करना, राज्य भर में आदिवासी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा) को लागू करना और आदिवासी भूमि से अतिक्रमण हटाना शामिल है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा है 2.34 किमी लंबा एलिवेटेड रोड
रांची में 2.34 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड मार्ग, जिसमें रेलवे लाइन पर 132 मीटर का हिस्सा शामिल है, अगस्त 2022 में शुरू की गयी 340 करोड़ रुपए की बुनियादी ढांचा परियोजना का हिस्सा है. इसका उद्देश्य यातायात की भीड़ को कम करने के लिए सिरमटोली और मेकॉन के बीच संपर्क में सुधार करना है.

22 मार्च को 18 घंटे के बंद का रांची में दिखा था असर
आदिवासी नेताओं ने तर्क दिया कि रैंप सरहुल जैसे प्रमुख धार्मिक समारोहों के दौरान पवित्र स्थान तक पहुंच में बाधा उत्पन्न करेगा, जब हजारों लोग वहां पहुंचते हैं. इससे पहले 22 मार्च को 18 घंटे के बंद का रांची में काफी असर रहा था, जिस दौरान हिनू और अरगोड़ा में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं थीं.
बैरिकेडिंग की वजह से रांची में परिवहन सेवा बाधित
रांची शहर के कई इलाकों में बैरिकेड लगाये जाने से शहर के कई हिस्सों में वाहनों की आवाजाही बाधित हुई, जिनमें हरमू, कांके, कोकर-लालपुर और कांटाटोली शामिल हैं. रांची-लोहरदगा जैसी प्रमुख सड़कें अवरुद्ध थीं और बसों और ऑटो रिक्शा सहित सार्वजनिक परिवहन सड़क से लगभग नदारद थे.
मोबाइल ऐप आधारित टैक्सी सेवा भी रही बाधित
मोबाइल ऐप-आधारित टैक्सी सेवा की उपलब्धता भी कम रही, जिससे यात्रियों खासकर रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा जाने वाले लोगों को असुविधा हुई.
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