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IITF 2025 में झारखंड की धूम : सिसल से एथेनॉल तक, कला-खेती और कारोबार का दिख रहा संगम

IITF 2025: सिसल परियोजना के बारे में कहा कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण हो चुका है. विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाने का है. उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में सिसल उत्पादन 150 मीट्रिक टन रहा था, जबकि चल रहे वित्तीय वर्ष के लिए 82 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

IITF 2025: देश की राजधानी नयी दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित 44वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला (IITF) 2025 में झारखंड पवेलियन इस वर्ष खास चर्चा में है. यहां वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग झारखंड की हरित अर्थव्यवस्था और सतत विकास की दिशा में किये जा रहे उल्लेखनीय प्रयासों को प्रमुखता से प्रदर्शित कर रहा है. पवेलियन में सिसल (एगेव) आधारित उत्पादों और नवाचारों का प्रदर्शन यहां आने वाले लोगों को प्रदेश की उभरती संभावनाओं के बारे में बता रहा है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल दे रहा सिसल

झारखंड में सिसल (एगेव) पौधे की खेती तेजी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था का प्रभावशाली परिवर्तन का वाहन है. कम पानी और प्रतिकूल मौसम में पनपने वाला यह पौधा प्राकृतिक फाइबर का प्रमुख स्रोत है. इसका उपयोग रस्सी, मैट, बैग और अन्य हैंडक्राफ्ट्स के उत्पाद बनाने में बड़े पैमाने पर होता है. इसके रस से बायो-एथेनॉल और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं.

औषधीय और कॉस्मेटिक उपयोग से उद्यमिता को नयी दिशा

इतना ही नहीं, इसके औषधीय और कॉस्मेटिक उपयोग की वजह से स्थानीय उद्यमिता को नयी दिशा मिली है. एगेव का बंजर और कम उपजाऊ भूमि पर भी आसानी से उगना इसे भूमि संरक्षण, पारिस्थितिक पुनरोद्धार और जलवायु अनुकूल खेती का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है.

Iitf 2025 Jharkhand Pavillion Delhi
झारखंड पैवेलियन बढ़ा रहा मेले का आकर्षण.

सिसल बन रहा स्थायी आजीविका का साधन

एसबीओ अनितेश कुमार ने सिसल परियोजना के बारे में कहा कि वर्तमान में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिसल का रोपण हो चुका है. विभाग का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इसे 100 हेक्टेयर और बढ़ाने का है. उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में सिसल उत्पादन 150 मीट्रिक टन रहा था, जबकि चल रहे वित्तीय वर्ष के लिए 82 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

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सिसल के पौधे से ग्रामीणों को मिल रही स्थायी आजीविका

वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की पहल पर राज्य में बड़े पैमाने पर सिसल पौधारोपण कर ग्रामीणों के लिए स्थायी आजीविका तैयार हो रहे हैं. विभाग हर वर्ष लगभग 90,000 मानव-दिवस का रोजगार सृजित कर रहा है, जो ग्रामीण परिवारों की आर्थिक रूप से सबल बना रहा है. हरित विकास को भी इससे गति मिल रही है.

झारखंड की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित कर रहे जूट उत्पाद

पवेलियन में प्रदर्शित जूट उत्पाद भी झारखंड की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को प्रदर्शित कर रहे हैं. स्थानीय कारीगरों के हाथों से बने ईको-फ्रेंडली जूट बैग, गृह सज्जा सामग्री और हस्तनिर्मित उपयोगी वस्तुएं राज्य की कला-कौशल, सूक्ष्म बुनाई तकनीक और ग्रामीण कारीगरी की गहरी जड़ों को दर्शाती हैं. ये उत्पाद न केवल झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कारीगरों के लिए नये अवसर भी देते हैं.

Iitf 2025 Jharkhand Pavillion Delhi News
झारखंड में बने रागी के उत्पाद भी लोगों को खूब भा रहे हैं.

IITF 2025 में राष्ट्रीय मंच पर झारखंड के स्टॉल

IITF 2025 में झारखंड के स्टॉल प्रदेश के उत्पादों और उसके कारीगरों को राष्ट्रीय मंच पर प्रदान कर रहा है, ताकि निवेश, बाजार और तकनीकी सहयोग के नये अवसर आकर्षित किये जा सकें. झारखंड का लक्ष्य सिसल आधारित उद्योगों को मजबूत कर ग्रामीण जनजीवन को सशक्त बनाना और जलवायु-संवेदनशील विकास को आगे बढ़ाना है.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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