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सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट के खिलाफ वारंट जारी

फर्जी एनकाउंटर में निर्दोष मंगल होनहांगा की हत्या के आरोप में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट शंभु कुमार विश्वास के खिलाफ सीआइडी ने न्यायालय से वारंट हासिल कर लिया है.

रांची : फर्जी एनकाउंटर में निर्दोष मंगल होनहांगा की हत्या के आरोप में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट शंभु कुमार विश्वास के खिलाफ सीआइडी ने न्यायालय से वारंट हासिल कर लिया है. ऐसे में उनकी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है. सहायक कमांडेंट वर्तमान में झारखंड में ही पदस्थापित हैं. जांच में आरोप सही पाये जाने पर सीआइडी एडीजी अनिल पालटा और एसपी अंजनी कुमार के निर्देश पर उनकी गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से वारंट जारी करने का अनुरोध किया गया था.

उल्लेखनीय है कि मंगल की हत्या के बाद छोटा नगरा थाना में वर्ष 2011 में शंभु कुमार विश्वास के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जिसमें इस बात का उल्लेख था कि नक्सलियों के साथ एनकाउंटर के दौरान मंगल मारा गया. लेकिन जब केस की जांच हुई तब यह बात सामने आयी थी कि जिस निर्दोष मंगल को नक्सली बता कर मारा गया था, वह नक्सली नहीं था.

घटना के दौरान नक्सलियों के साथ कोई एनकाउंटर नहीं हुआ था. मंगल को सीआरपीएफ अपने साथ सामान ढोने के लिए ले गयी थी. लेकिन उसने जब विरोध किया तब सीआरपीएफ के जवानों ने ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी. गोली चलाने के लिए शंभु कुमार विश्वास ने ही कहा था. जांच के दौरान मुठभेड़ का केस फर्जी साबित होने पर वर्ष 2012 के शुरू में ही छोटा नगरा थाना में मंगल की हत्या को लेकर शंभु कुमार विश्वास के खिलाफ केस दर्ज हुआ था.

सहायक कमांडेंट अभियान के दौरान मौजूद थे. इसलिए उनकी भूमिका पर जांच चल रही थी. बाद में इस केस को सीआइडी ने टेकओवर कर लिया था. घटना के दौरान मौजूद तत्कालीन पुलिस पदाधिकारी राजेश कुजूर ने सहायक कमांडेंट के खिलाफ बयान भी दिया था. जिसके आधार पर अंतिम जांच में सीआइडी ने मंगल की हत्या को लेकर शंभु कुमार विश्वास को दोषी पाया था. सीआइडी को मामले में सहायक कमांडेंट से पूछताछ भी करनी थी. इसके लिए उन्हें नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह सीआइडी के समक्ष बयान देने के लिए उपस्थित नहीं हुए.

इसके बाद सीआरपीएफ के डीआइजी को सहायक कमांडेंट को बयान देने के लिए उपस्थित कराने के लिए अनुरोध किया गया. जिसके बाद सहायक कमांडेंट की ओर से सीआइडी मुख्यालय को सीआरपीएफ डीआइजी के जरिये पत्राचार किया गया था. जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि पहले सीआइडी उन्हें जांच से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराये. इसके साथ ही घटना के दौरान वह ड्यूटी आवर में थे. इसलिए सीआइडी कभी भी ड्यूटी आवर में आकर उनसे बयान ले सकती है. पूरे मामले में केस की समीक्षा करने के बाद वारंट लेने की कार्रवाई की गयी है.

posted by : sameer oraon

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