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मरांग बुरू को संथालों का धार्मिक तीर्थस्थल करें घोषित, सीएम हेमंत सोरेन से प्रतिनिधिमंडल ने की मांग

Hemant Soren News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की. मुख्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल ने संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल मरांग बुरू के संरक्षण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. उन्होंने मांग की कि मरांग बुरू को संथालों का धार्मिक तीर्थस्थल घोषित किया जाए.

Hemant Soren News: रांची-मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुलाकात की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री को प्रतिनिधिमंडल ने एक ज्ञापन के माध्यम से मरांग बुरू (पारसनाथ, पीरटांड़, गिरिडीह, झारखंड) संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल को संरक्षित करने एवं प्रबंधन निगरानी, नियंत्रण एवं अनुश्रवण के लिए ग्राम सभा को जिम्मेवारी देने संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मांगों से अवगत कराया. मुख्यमंत्री ने मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार उनकी मांगों पर विधिसम्मत कार्रवाई करेगी. मौके पर विशेष रूप से दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री फागू बेसरा, मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के अध्यक्ष रामलाल मुर्मू एवं साहित्यकार भोगला सोरेन उपस्थित थे.

धार्मिक तीर्थ स्थल करें घोषित-मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति


मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के सदस्यों ने सीएम हेमंत सोरेन को बताया कि प्राचीन काल से संथाल समुदाय मरांग बुरू को ईश्वर के रूप में पूजा करता आ रहा है. छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाईकोर्ट एवं प्रीवी कौन्सिल कोर्ट से संथाल आदिवासियों को प्रथागत अधिकार (Customary right) प्राप्त है. झारखंड सरकार से मांग है कि मरांग बुरू को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित किया जाए.

मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति की ये है मांग

मरांग बुरू बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि भूमि एवं धार्मिक स्थल संविधान के अनुसार राज्यों का विषय है. झारखंड सरकार से मांग है कि आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरू, लुगू बुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान (सरना), मांझी थान, मसना, हड़गडी आदि धार्मिक स्थल की रक्षा के लिए आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाया जाए. भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय संशोधन मेमोरंडम पत्र F.No 11-584/2014-WL दिनांक 05 जनवरी 2023 एवं झारखंड सरकार पर्यटन, कला, संस्कृति विभाग के पत्रांक 1391, दिनांक 22.10.2016 एवं विभागीय पत्रांक 14/2010-1995 दिनांक 21.12.2022 का दिशा-निर्देश जिसमें मांस-मदिरा के सेवन एवं खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है. मरांग बुरू (पारसनाथ पहाड़) को सिर्फ जैन समुदाय के सम्मेद शिखर के रूप में विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में उल्लेख किया गया है, जो जैन समुदाय के पक्ष में एक तरफा एवं असंवैधानिक आदेश है. उसे रद्द किया जाए.

जिम्मेदारी आदिवासियों की ग्राम सभा को सौंपी जाए


मरांग बुरू (पारसनाथ पर्वत) संथालों आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल को सुप्रीम कोर्ट केस संख्या 180/2011 एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के धारा 3 अंतर्गत सामूहिक वन भूमि अधिकार के तहत संरक्षण, प्रबंधन, निगरानी नियंत्रण एवं अनुश्रवण की जिम्मेवारी वहां के आदिवासियों की ग्राम सभा को सौंपी जाए. मरांग बुरू युग जाहेर, वाहा-बोंगा पूजा महोत्सव फागुन शुक्ल पक्ष तृतीय तिथि को राजकीय महोत्सव घोषित किया जाए.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
Senior Journalist with more than 10 years of experience in Print and Digital media. Laadli Media award winner.

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