रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता (सीजीएल)-2023 के तहत 21 व 22 सितंबर को ली गयी परीक्षा में गड़बड़ियों की सीबीआइ जांच को लेकर दायर पीआइएल पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. खंडपीठ ने सभी पक्षों को अपना लिखित बहस चार नवंबर तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. वहीं खंडपीठ ने सीजीएल परीक्षा के रिजल्ट प्रकाशन पर पूर्व में लगायी गयी रोक (अंतरिम आदेश) को बरकरार रखा.
पेपर लीक के आरोप को आधारहीन बताया
इससे पहले वेरिफिकेशन में सफल अभ्यर्थियों दीपक उरांव व अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, वरीय अधिवक्ता वी मोहना व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि परीक्षा में पेपर लीक का आरोप आधारहीन है. ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है, जिससे यह साबित होता है कि पेपर लीक हुआ है. हस्तक्षेपकर्ता की ओर से बहस पूरी होने के बाद प्रार्थियों की ओर से भी पक्ष रखा गया. बताया गया कि राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए पूर्व की एसआइटी को खत्म कर दूसरी एसआइटी बना दी, जो गलत है. अनुसंधान सही दिशा में नहीं हो रहा है. सीआइडी जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं कर रही है. पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए मामले को सीबीआइ को हैंडओवर करना चाहिए, ताकि पेपर लीक की सच्चाई सामने आ सके.
मामले की
सीबीआइसे जांच कराने की मांग
प्रार्थी प्रकाश कुमार व अन्य की ओर से पीआइएल दायर की गयी है. इसमें सीजीएल परीक्षा रद्द करने तथा पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गयी है. परीक्षा में पेपर लीक, पेपर का सील खुला होना और बड़ी संख्या में प्रश्नों को रिपीट करने जैसी गड़बड़ियों के आरोप लगाये गये हैं. सीजीएल परीक्षा-2023 में 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. विभिन्न विभागों में 2025 पदों पर चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति होनी है.
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