रांची. गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा में सिख पंथ के तीसरे गुरु अमर दास जी का 546वां प्रकाश पर्व मनाया गया. इस अवसर पर श्री सहज पाठ साहिब के तीन पाठों की समाप्ति हुई. रविवार सुबह आठ बजे से सजाये गये विशेष दीवान की शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी द्वारा आसा दी वार कीर्तन से हुई. हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह जी ने साध संगत को बताया कि गुरु अमर दास जी ने 62 साल की उम्र में गुरु अंगद देव जी के दर्शन किये और अगले 12 साल तक गुरु महाराज जी की नि:स्वार्थ सेवा की. गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा भावना से प्रसन्न होकर हर वर्ष एक सरोपा भेंट किया और उन्हें बारह वर निमाणियां दा माण, निताणियां दा ताण, निओटेयां दी ओट,निथावन दे थांव,निआसरिआं दा आसरा, निधरीआं दी धर, निधीरन के धीर,पीरन के पीर, दईआल गई बहोड़, जगत बंदी छोड़, भनण घड़ण समरथ, सब जीवका जिस हथ दिए और योग्य जानकर सिखों का तीसरा गुरु घोषित किया.
गुरु अमर दास जी ने लंगर में पंगत की प्रथा की शुरुआत की
ज्ञानी जिवेंदर सिंह जी ने कहा कि गुरु अमर दास जी ने लंगर में पंगत की प्रथा की शुरुआत की, जिसमें कोई भी जाति के लोग ऊंच-नीच का भेद मिटाकर एक कतार में बैठकर लंगर छकते हैं. वे पहले समाज सुधारक थे, जिन्होंने सती प्रथा का खुलकर विरोध किया. इस अवसर पर मनीष मिढ़ा, सुंदर दास मिढ़ा, सुरेश मिढ़ा, हरगोबिंद सिंह, महेश सुखीजा, हरविंदर सिंह बेदी, प्रेम मिढ़ा, नरेश पपनेजा, चरणजीत मुंजाल, अशोक गेरा, हरविंदर सिंह हन्नी, मोहन लाल अरोड़ा, रमेश गिरधर उपस्थित थे़डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

