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रिपेयर के अधूरे के लिए ठेकेदार को पूरा भुगतान

ठेकेदार को बगैर काम कराये फर्जी तरीके से लगभग 13 लाख रुपये का भुगतान कर देने का मामला

डकरा. एनके एरिया असैनिक विभाग के अधिकारियों द्वारा एक ठेकेदार को बगैर काम कराये फर्जी तरीके से लगभग 13 लाख रुपये का भुगतान कर देने का मामला इन दिनों खूब चर्चा में है. इस काम को संगठित रूप में जिस तरह से अंजाम दिया गया है, वह हैरान करनेवाला है. जानकारी अनुसार 30 मई 2024 को सीआइएसएफ काॅलोनी के बी-टाइप क्वार्टर के दस ब्लॉक की छत का रिपेयर/एपीपी ( एक्टिक पाॅलीप्रोपाइलीन ) वाटरप्रूफिंग करने के लिए 42 लाख 68 हजार 255.55 रुपये का टेंडर जारी किया गया. पांच ठेकेदारों ने इस काम को करने के लिए टेंडर डाला. शिड्यूल रेट से 31% कम रेट डालने वाले ठेकेदार रामजी सिंह को यह काम आवंटित किया गया. ठेकेदार को पहले पुरानी छत के प्लास्टर को तोड़ कर पुनः ढलाई और प्लास्टर करने के बाद एपीपी करना था, लेकिन इस काम की देखरेख कर रहे इंजीनियर, ओवरसियर ने मिल कर ठेकेदार से छत का रिपेयर नहीं कराया और पुरानी छत पर ही एपीपी करवा दिया. प्राक्कलन के अनुसार रिपेयर के लिए लगभग 13 लाख रुपये खर्च होना था, जो ठेकेदार का बच गया. इस काम के होने पर छत में सिपेज नहीं होने की गारंटी दस साल की है, लेकिन यह गारंटी सिर्फ कागजों पर ही रह गयी, क्योंकि काम होने के बाद भी कहीं-कहीं सिपेज होती रही. इसकी सीआइएसएफ जवानों ने विभागीय अधिकारियों से शिकायत की. लेकिन शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया. मॉनसून समाप्त होते ही अधिकारियों ने मान लिया कि अब वे पकड़ में नहीं आयेंगे. सीआइएसएफ जवानों ने प्रभात खबर को बताया कि छत पर जहां पानी की टंकी रखी हुई है, उसके आसपास थोड़ा-थोड़ा एरिया में कंक्रीट ढलाई कर आंखों में धूल झोंकने जैसा दिखावा कर दिया गया है.

रिवाइज्ड इस्टीमेट का सात फीसदी का भुगतान

इस काम में विभागीय अधिकारी ठेकेदार को जितना ज्यादा भुगतान करा सकते थे, वह सब किया गया है. जानकारी अनुसार ठेकेदार को रिवाइज्ड इस्टीमेट के एवज में सात फीसदी राशि का भुगतान किया गया है. काम की गारंटी दस साल की है, लेकिन सिक्योरिटी मनी भी भुगतान कर दिया गया यानि अपनी तरफ से अधिकारियों ने इस घपले का पटाक्षेप कर दिया है. गौरतलब है कि इस काम की निगरानी करने वाले इंजीनियर बदलते रहे हैं और जो ओवरसियर ने बिल बनाया, उसने अपनी आइडी से उसे बुक नहीं किया, मतलब साफ है कि यह पूरी तरह से सोच-समझकर योजनाबद्ध तरीके से किया गया काम है. इस मामले को लेकर विभागीय प्रमुख सुमन कुमार, इंजीनियर अनमोल सौरभ, ओवरसियर अभय वर्मा को वाट्स एप पर लिख कर बताया गया एवं उनका पक्ष पूछा गया, तो किसी ने जवाब नहीं दिया.

अधिकारियों पर बगैर काम कराये ठेकेदार को 13 लाख रुपये का भुगतान करने का आरोप

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Prabhat Khabar News Desk
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