रांची. राज्य में जमीन के ब्योरा को डिजिटाइज किया जा रहा है. जमीन से संबंधित कामकाज ऑनलाइन होने के बाद कई तरह की गड़बड़ियां भी सामने आ रही हैं. जमीन की ऑनलाइन हेरा-फेरी हो रही है. रैयत सीओ ऑफिस का चक्कर काटने को मजबूर हैं.
राज्य में जमीन की गड़बड़ी और नीतियों को लेकर विधानसभा में आये दिन सवाल आते रहे हैं. विधायक म्यूटेशन, गैर मजरुआ जमीन की बंदोबस्ती, जमीन को लॉक किये जाने और खासमहाल को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. सवालों में उलझती विधानसभा और उसको सुझाने में सरकार का समय जा रह है. बजट सत्र में खासकर म्यूटेशन और विभिन्न जिलों में हजारों एकड़ जमीन को लॉक किये जाने का मुद्दा उठा है. सात मार्च को भाजपा विधायक राज सिन्हा ने एक महत्वपूर्ण मामला सदन में लाया. उन्होंने सवाल लाया था कि धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, रांची, चतरा, हजारीबाग सहित कई जिलों में रैयतों की जमीन लॉक कर दी गयी है. इनकी रसीद कटनी बंद हो गयी है. खतियान में जमीन का ब्योरा कुछ है और ऑनलाइन में कुछ और दर्शाया गया है. सीओ ऑफिस आम रैयतों को रसीद काटने के लिए दौड़ता है. इसमें रैयतों की कसूर नहीं होती है. ऑनलाइन में विवाद कर जमीन को लॉक किया जाता है. दो लाख से ज्यादा रैयतों की जमीन अलग-अलग जिलों में लॉक है. इस पर सरकार की दलील है कि वर्ष 2016 में गैर मजरुआ और दोहरी जमाबंदी को लेकर पूर्ववर्ती सरकार ने एक आदेश जारी कर म्यूटेशन बंद कर दिया था. सरकार का कहना है कि सीओ व अन्य अधिकारियों के स्तर से जमीन का भौतिक सत्यापन कर लॉक हटाया जा रहा है. विधानसभा में भाजपा विधायक नीरा यादव का एक सवाल था कि भू-राजस्व विभाग को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. 50 प्रतिशत से ज्यादा म्यूटेशन के आवेदन रद्द कर दिये गये हैं. खासमहाल को फ्री-होल्ड करने वाला मामला भी राज्य में पुराना है. पिछले दिनों विधायक आलोक चौरसिया और सत्येंद्र नाथ तिवारी ने मामला उठाया कि मेदिनीनगर में हजारों एकड़ जमीन खासमहाल की है. वर्षों से लोग इसपर रह रहे हैं, लेकिन हक नहीं मिल रहा है. हालांकि, फ्री-होल्ड को लेकर सरकार ने आनेवाले समय में नीति बनाने की घोषणा की है. इसी तरह हजारों एकड़ गैर मजरुआ जमीन की बंदोबस्ती का मामला भी है.खासमहाल भूमि का मामला अहम, जल्द सुलझाया जाना चाहिए : मिथिलेश ठाकुर
रांची. पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा है कि लैंड बैंक में रखी गयी जमीन रैयतों को वापस करनी चाहिए. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने उद्योगपतियों को लुभाने के लिए आनन फानन में हजारों एकड़ भूमि गलत तरीो से प्रतिबंधित सूची में डाल दी थी. उसे लैंड बैंक में तब्दील कर दिया गया था. श्री ठाकुर ने कहा है कि खासमहाल भूमि का मामला भी काफी अहम है. इसे भी जल्द से जल्द सुलझाये जाने की जरूरत है. इसके कागजी दांव-पेंच में गरीब मारे जा रहे हैं. भूमि पट्टा का नवीकरण और लीज का ट्रांसफर दोनों की ही एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया है. इससे राजस्व का नुकसान भी हो रहा है. श्री ठाकुर ने कहा कि खासमहाल भूमि को फ्री होल्ड करने या 99 वर्ष का लीज देने की व्यवस्था होनी चाहिए. भूमि उपयोग को बदलने की प्रक्रिया भी आसान की जाये. इसके लिए एक उचित राशि का निर्धारण होना चाहिए. इससे न सिर्फ लोगों को त्वरित राहत मिलेगी, बल्कि सरकार को भी एक राजस्व मिलेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है