रांची. भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाइ) के तहत नयी गाइडलाइन राज्य सरकारों को भेज दी है. झारखंड सरकार के भी उद्योग व कृषि विभाग को गाइडलाइन भेजी गयी है. इसके तहत इंटीग्रेटेड कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन एवं प्रिजर्वेशन आधारभूत संरचना के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं. देश में फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और किसानों की आय बढ़ाने पर इसमें जोर दिया गया. गाइडलाइन में कहा गया है कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य खेत से लेकर उपभोक्ता तक बिना किसी बाधा के एकीकृत कोल्ड चेन, संरक्षण और वैल्यू एडिशन तथा प्रिजर्वेशन की सुविधाएं प्रदान करना है. इससे गैर-बागवानी उपज, डेयरी, मांस, कुक्कुट और समुद्री/मछली (झींगा को छोड़कर) उत्पादों की फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम किया जा सकेगा.
कोई भी स्थापित कर सकता है एकीकृत कोल्ड चेन
इस योजना के तहत एकीकृत कोल्ड चेन और वैल्यू एडिशन तथा प्रिजर्वेशन परियोजनाएं कोई भी व्यक्ति, केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, संयुक्त उद्यम, गैर-सरकारी संगठन, सहकारी समितियां, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), किसान उत्पादक संगठन, किसान उत्पादक कंपनियां, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी), पार्टनरशिप फर्म और कोल्ड चेन समाधानों में व्यावसायिक रुचि रखने वाले प्रोपराइटरशिप फर्म स्थापित कर सकते हैं. इसके तहत प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करना है. इसमें आधुनिक कोल्ड स्टोरेज वाला वितरण हब, रेफ्रिजेरेटेड वैन/ट्रक/इंसुलेटेड वैन/मोबाइल इंसुलेटेड टैंकर भी शामिल होंगे. इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए प्रसंस्करण केंद्र के साथ-साथ वितरण हब या रेफ्रिजेरेटेड परिवहन में से कम से कम एक यूनिट स्थापित करना अनिवार्य है.
ये यूनिट लगाने का प्रावधान, मिलेगी सब्सिडी
योजना के तहत योग्य सुविधाओं में मशीनीकृत छंटाई और ग्रेडिंग लाइन/पैकिंग लाइन, कोल्ड स्टोरेज यूनिट, फ्रोजन स्टोरेज/डीप फ्रीजर, आइक्यूएफ लाइन, मिल्क चिलिंग/बल्क मिल्क कूलिंग/स्वचालित दूध संग्रह इकाई/दूध प्रसंस्करण इकाई, कुक्कुट/मांस/समुद्री/मत्स्य पालन प्रसंस्करण इकाई, पैकेजिंग लाइन, रेफ्रिजेरेटेड/इंसुलेटेड परिवहन, प्री-कूलिंग यूनिट, वैक्यूम फ्रीज ड्राइंग, खुदरा रेफ्रिजेरेटेड गाड़ियां, रेफ्रिजेरेटेड कंटेनर की इकाई लगायी जा सकती है. सामान्य क्षेत्रों की परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत का 35% और कठिन क्षेत्रों के साथ-साथ अनुसूचित जाति/जनजाति, एफपीओ और एसएचजी की परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत की 50% राशि तक सब्सिडी दी जायेगी, जो प्रति परियोजना अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

