Diwali 2025: रांची के रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने 5 साल पहले गाय के गोबर से प्रोडक्ट बनाने की शुरुआत की थी. कोरोना काल में दोनों के दिमाग में गौसेवा के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को सशक्त करने का विचार आया. शुरुआत में उन्होंने महिलाओं को गोबर से प्रोडक्ट्स तैयार करने की ट्रेनिंग दी. आज सभी महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर घर बैठे अच्छी कमाई कर रही हैं.
महिलाओं को एक दिन में 400 रुपये से अधिक की हो रही कमाई
रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने बताया, ”गोबर के दीये बनाकर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं. गांव की गरीब महिलाएं एक दिन में 400 से अधिक की कमाई कर रही हैं. सुकुरहुटू में 20, अरसंडे में 30 और धुर्वा में 30 से 40 महिलाएं काम कर रही हैं.” सोनाली मेहता ने बताया, “वैसी महिलाओं को हमने जोड़ने का काम किया है, जो बाहर जाकर काम करना चाहती हैं. लेकिन, घर और बच्चों की जिम्मेदारी की वजह से बाहर नहीं निकल पाती हैं. इसमें अधिक समय देने की जरूरत नहीं पड़ती है. महिलाएं आसानी से खाली समय में इस काम को कर अपनी कमाई कर सकती हैं और कर रही हैं.”

बनारस से 2 लाख दीये की डिमांड
रांची के बने गोबर के दीये की डिमांड उत्तर प्रदेश के बनारस में भी है. सोनाली और रोशन सिंह की कंपनी को बनारस से करीब 2 लाख दीयों की डिमांड आई है. रोशन सिंह ने बताया, ”देश के अलग-अलग हिस्सों से भी उन्हें डिमांड मिल रही है.”
रांची की करीब 200 महिलाओं को दिया गया प्रशिक्षण
सोनाली बताती हैं, “सितंबर 2023 में गोबर क्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद गौसेवा आयोग की ओर से हम लोगों ने केवल रांची में 200 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया. 10 अलग-अलग ब्लॉक में हमने 20-20 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है. गौसेवा आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन की पहल है कि आने वाले दिनों में झारखंड के सभी जिलों में करीब साढ़े पांच हजार महिलाओं को गोबर से बने प्रोडक्ट्स तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाएगी.

मार्केट में गोबर के दीये की अच्छी डिमांड
गोबर से बने दीये की मार्केट में अच्छी डिमांड है. दिवाली में इसकी मांग बढ़ जाती है, लेकिन साल भर दीये की मांग बाजार में रहती है. इसलिए पूरे साल प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं.
गोबर से कौन-कौन से प्रोडक्ट हो रहे तैयार
गोबर से बने दीयों के साथ-साथ सुकुरहुटू, अरसंडे और धुर्वा में कई प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं. गोबर से भगवान की मूर्ति तैयार की जा रही है. इसके अलावा, अलग-अलग साइज के दीये, की रिंग, सजावट के सामान और राखियां तैयार की जा रही हैं.
गोबर के दीये कैसे हो रहे तैयार
गोबर से दीये तैयार करने के लिए प्लांट में मिक्सिंग और पीसने वाली मशीन लगाई गई है. सबसे पहले गोबर के उपले (गोइठा) को पहले मशीन में डालकर पाउडर बनाया जाता है. फिर उसे मिक्सिंग मशीन में डालकर अच्छे से मिलाया जाता है. मिक्सिंग मशीन में चिकनी मिट्टी और कच्चे गोबर को डाला जाता है. मिक्सिंग होने के बाद महिलाएं सांचे में डालकर प्रेशर मशीन के सहारे दीये तैयार किए जाते हैं.

मछली पालन में भी उपयोगी होते हैं गोबर के दीये
रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने बताया, मिट्टी के दीये को आग में पकाना पड़ता और इस्तेमाल के बाद उन्हें दोबारा मिट्टी में नहीं मिलाया जा सकता है. लेकिन गोबर के बने दीये खाद का काम करेगा. नदी में प्रवाहित करने के बाद मछलियों का खाना बन जाएगा.
गोबर के बने प्रोडक्ट को मिट्टी में डालने से निकल आएंगे पौधे
रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने बताया, ”गोबर के बने दीये या अन्य प्रोडक्ट की खासियत है कि इन्हें मिट्टी में डालने पर इससे तीन-चार पौधे भी निकल आएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोडक्ट तैयार करते समय इसमें पौधों के बीज भी डाल दिए जाते हैं. इससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा.”

गोबर के दीये को आग में पकाने की जरूरत नहीं
रोशन सिंह और सोनाली मेहता ने बताया, ”गोबर के दीये को आग में पकाने की जरूरत नहीं है. एक से दो दिनों में हवा और धूप में सूखकर तैयार हो जाते हैं.”
एक दीये की कीमत 3 से 10 रुपये
गोबर से बने दीये की कीमत 3 से 10 रुपये हैं. छोटे की कीमत 3 रुपये और बड़े आकार के दीये की कीमत 10 रुपये तक हैं. हालांकि, अधिक मात्रा में लेने पर रांची गौशाला या सुकुरहुटू प्लांट में संपर्क करना पड़ेगा.

ऑनलाइन भी लिए जा सकते हैं गोबर के दीये
सोनाली और रोशन ने बताया, ”गोबर से बने प्रोडक्ट जल्द ऑनलाइन भी उपलब्ध होंगे. इसके लिए वो अपनी खुद की वेबसाइट तैयार करा रहे हैं. वेबसाइट लॉन्च होने के बाद लोग ऑनलाइन भी प्रोडक्ट खरीद पाएंगे.”

