रांची.
झारखंड के सभी जिला अस्पतालों में हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों के लिए जांच, परामर्श और इलाज की सुविधा उपलब्ध है. वहीं, अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सतत विकास लक्ष्य 3.3 के तहत वर्ष 2030 तक वायरल हेपेटाइटिस से निपटने के लिए अस्पतालों के लिए नयी रणनीति तैयार की गयी है. इसके तहत सभी जिला अस्पतालों में हिपेटाइटिस बी एवं सी के मरीजों के निःशुल्क उपचार व जांच के लिए स्पेशल ट्रीटमेंट सेंटर बनेगा. राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीएचसीपी) के तहत हिपेटाइटिस मरीजों की नियमित जांच तथा इलाज की व्यवस्था यहीं पर सुनिश्चित की जायेगी. इसके लिए राज्य के सिविल सर्जन को विशेष तौर पर निर्देशित किया गया है.जटिल मरीजों को रिम्स भेजा जायेगा
हेपेटाइटिस वायरल लोड के लिए सैंपल ट्रांसपोर्टेशन कर जटिल मरीजों को इलाज के लिए राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के अंदर चिह्नित मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर और माइक्रोबायोलॉजी स्टेट रेफरल लैब भेजा जायेगा. भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विश्व हिपेटाइटिस दिवस पर 28 जुलाई को कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी. आपको बता दें कि फरवरी में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में नेशनल वायरस हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम की बैठक नेपाल हाउस में की गयी थी. इसमें विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों के साथ बीमारी के उन्मूलन पर चर्चा हुई थी.
मदर टू चाइल्ड ट्रांसमिशन को कम करना लक्ष्य
हेपेटाइटिस बी ज्यादातर मां से बच्चों में फैलता है. वहीं, हेपेटाइटिस सी ज्यादातर असुरक्षित इंजेक्शन के माध्यम से फैलता है. इसे देखते हुए अस्पतालों में शिशु के जन्म लेने के 24 घंटे के अंदर हिपेटाइटिस बी का टीका (जीरो बर्थ डोज) लगाया जाना है. सुरक्षित प्रसव को ध्यान में रखकर माताओं की ट्रैकिंग करते हुए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है. सभी गर्भवती महिलाओं की हिपेटाइटिस बी के लिए यूनिवर्सल स्क्रीनिंग की जानी है. ताकि, हेपेटाइटिस बी के मदर टू चाइल्ड ट्रांसमिशन को कम किया जा सके.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

