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Ranchi News : देश अघोषित इमरजेंसी की स्थिति में : हरभजन सिंह सिद्धू

हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि पिछले 11 साल में देश में 29 श्रम कानून खत्म कर दिये गये. इसके लिए मजदूर संगठनों की सहमति भी नहीं ली गयी.

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रांची (वरीय संवाददाता). हिंद मजदूर सभा (एचएमएस) के महामंत्री हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि पिछले 11 साल में देश में 29 श्रम कानून खत्म कर दिये गये. इसके लिए मजदूर संगठनों की सहमति भी नहीं ली गयी. पूंजीपतियों के कहने पर फैक्टरी एक्ट में बदलाव कर दिया गया. औद्योगिक विवाद से संबंधित एक्ट में भी बदलाव हो रहा है. यूनियनें चुनौतियों की दौर से गुजर रही हैं. ठेका मजदूरों को बंधुआ मजदूर की तरह काम कराया जा रहा है. 60 फीसदी से अधिक स्थायी पद सरेंडर कर दिये गये हैं. चारों ओर से मजदूरों पर हमला हो रहा है. देश में अघोषित इमरजेंसी की स्थिति है. 20 मई की हड़ताल इसी के विरोध में है. श्री सिद्धू सोमवार को सीएमपीडीआइ के मयूरी सभागार में 20 मई की हड़ताल को लेकर आयोजित कोयला मजदूरों के राष्ट्रीय कन्वेंशन में बोल रहे थे.

मजदूर नहीं, नेता गड़बड़ करते हैं

पूर्व सांसद सह एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कहा कि 20 मई को देश में महाभारत होगा. सत्य की असत्य से लड़ाई होगी. इसमें किसान, राजनीतिक दल, मजदूर मैदान में होंगे. इसको सफल बनाने के लिए एकजुट होना होगा. मजदूर लड़ाई से पीछे नहीं हटते हैं. जो एकजुटता राष्ट्रीय मंच पर दिख रही है, वही खदानों में भी दिखनी चाहिए. खदानों में मजदूर नहीं, नेता गड़बड़ करते हैं. वहां एकता रहेगा, तो हड़ताल पूरी तरह सफल होगा. महाराष्ट्र के रामटेक के सांसद सह इंटक नेता श्याम कुमार बरवे ने कहा कि एक-दो दिनों के आंदोलन से सरकार पर बहुत असर नहीं पड़ने वाला है. लंबी लड़ाई लड़नी होगी. मजदूरों की यह लड़ाई सरकार से नहीं, व्यापारी से है.

हर मंच पर एकजुटता हो

विधायक अनूप सिंह ने कहा कि मजदूरों की लड़ाई में एक केंद्रीय संगठन ने साथ छोड़ दिया है. इंटक ने कांग्रेस के शासन काल में भी देश में कोयला खदान बंद करा दिया था. सड़क की लड़ाई में तो हम साथ हो जाते हैं, लेकिन दूसरे मंच पर अलग-अलग हो जाते हैं. इंटक को कई मंचों से अलग कर दिया गया है, वहां भी यूनियनों को एकजुट होना चाहिए. इंटक के एसक्यू जमा ने कहा कि आंदोलन हो रहा है, लेकिन सरकार पर असर नहीं पड़ रहा है. लगातार श्रम कानून बदले जा रहे हैं. पहले इंडियन लेबर कांफ्रेंस होता था. इसकी अध्यक्षता पीएम करते थे. 2025 के बाद इसे बंद कर दिया गया. अब सरकार असर पर मजदूरों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.

आउटसोर्सिंग से जुड़े नेताओं को पहचाने की जरूरत

विधायक अरुप चटर्जी ने कहा कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आउटसोर्सिंग से जुड़े नेताओं को पहचाने की जरूरत है. ऐसे लोगों के कारण भी मजदूर आंदोलन कमजोर होता है. एकजुट हो जायेंगे, तो झारखंड में एक छटाक कोयले का भी उत्पादन नहीं होगा. सीटू के डीडी रामानंदन ने कहा कि अगर हम लोगों ने आंदोलन को सफल नहीं किया जो आने वाले समय में जेबीसीसीआइ भी समाप्त हो जायेगा. मजदूरों की एक भी मांग नहीं सुनी जायेगी. एटक के लखन लाल महतो ने कहा कि पूर्व में मजदूरों को जो ताकत मिली है, उसको बदलने की कोशिश की जा रही है. एचएमएस के राजेश सिंह ने कहा कि कभी कोयला कंपनी में 7.30 लाख मजदूर होते थे, आज 2.20 लाख हो गये हैं. हम लोगों को धीरे-धीरे कमजोर किया जा रहा है. आनेवाले कुछ वर्षों में एक लाख से नीचे हो जायेंगे. कार्यक्रम का संचालन जनता मजदूर संघ के महामंत्री सिद्धार्थ गौतम ने किया. इसमें अशोक यादव, रघुनंदन राघवन, जयनारायण महतो, आरपी सिंह, एके झा ने भी विचार रखा.

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