वरीय संवाददाता, रांची. क्षतिपूर्ति का बकाया 74 लाख 43 हजार रुपये की वसूली करने के लिए कॉमर्शियल कोर्ट चंद्रभानु कुमार की अदालत ने हरि ओम सुपर इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपर कंपनी के बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया है. यह कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर नाजीर जीशान इकबाल की टीम ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया मुख्य शाखा रांची जाकर पूरी की. इससे पूर्व बैंक के मैनेजर ने लिखित रूप से कोर्ट को जानकारी दी कि कंपनी के बैंक खाते में क्षतिपूर्ति राशि की वसूली को लेकर पर्याप्त राशि है. क्या है मामला : इस कंपनी के खिलाफ चाईबासा की कंपनी रुंगटा माइंस ने क्षतिपूर्ति राशि का दावा करते हुए चाईबासा सिविल कोर्ट में मुकदमा 8/2020 दर्ज कराया था. इस मुकदमे में रुंगटा माइंस ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि दोनों के बीच 29 अप्रैल 2016 को एक एग्रीमेंट हुआ था. जिसके तहत रुंगटा माइंस द्वारा डेवलपर कंपनी को जमीन उपलब्ध करायी गयी. सिक्योरिटी अमाउंट का भी भुगतान किया गया. लेकिन डेवलपर कंपनी द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर उक्त जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं किया गया. इसे आधार बनाते हुए रुंगटा माइंस ने कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर हरिओम सुपर इंफ्रा स्ट्रक्चरल डेवलपर कंपनी के खिलाफ क्षतिपूर्ति राशि का दावा ठोका. जिसमें एक पक्षीय सुनवाई करते हुए चाईबासा की अदालत ने क्षतिपूर्ति राशि के दावा को सही ठहराया और वसूली की कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इसके बाद रुंगटा माइंस ने राशि की वसूली को लेकर जमशेदपुर की अदालत में ही एग्जीक्यूशन मुकदमा दर्ज कराया. लेकिन एग्जीक्यूशन मुकदमे की कार्रवाई जमशेदपुर कोर्ट में नहीं चली. क्योंकि विपक्षी हरिओम सुपर इन्फ्राट्रक्चरल डेवलपर कंपनी रांची के रातू रोड में स्थित है. इसके बाद राशि की वसूली को लेकर रुंगटा माइंस ने नये सिरे से वर्ष 2024 में सिविल कोर्ट रांची स्थित कॉमर्शियल कोर्ट चंद्रभानु कुमार की अदालत में एग्जीक्यूशन मुकदमा दर्ज कराया. एग्जीक्यूशन मुकदमा 29 /2024 में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कॉमर्शियल कोर्ट ने 25 अप्रैल 2025 को हरिओम सुपर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर कंपनी से क्षतिपूर्ति राशि की वसूली करने की दिशा में उसके बैंक अकाउंट को फ्रीज करने का आदेश दिया. इसके बाद कंपनी के बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया.
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