परिचर्चा. झारखंड ओलिंपिक संघ कार्यालय में खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और खेल संघों के पदाधिकारियों ने रखी अपनी बात
फंड, कोच, इंफ्रास्ट्रक्चर, नौकरी, सम्मान और मजबूत स्पोर्ट्स पॉलिसी की आवश्यकता पर दिया जोर
लाइफ रिपोर्टर @ रांचीमोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में शुक्रवार को खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और खेल संघों के पदाधिकारियों ने खेल ढांचे को मजबूत करने और प्रतिभाओं को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने पर चर्चा की. झारखंड ओलिंपिक संघ कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में प्रतिभागियों ने बेबाकी से अपनी बात रखी. सभी का कहना था कि झारखंड में खेल प्रतिभा की कमी नहीं है. लेकिन, सुव्यवस्थित संसाधन, मजबूत नीतियां और गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण की आवश्यकता है. उनका यह भी मानना था कि यदि राज्य की खेल नीति को और सुदृढ़ किया जाए, तो झारखंड राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी पहचान को और प्रभावी ढंग से स्थापित कर सकता है.
खिलाड़ियों के प्रमुख सुझावखेल संघों को पर्याप्त फंड उपलब्ध कराया जाये, प्रशिक्षण के लिए ग्राउंड और इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाया जाये और अनुभवी कोचों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाये. खिलाड़ियों के लिए रोजगार के अवसर, चिकित्सा सुविधाएं और स्पोर्ट्स साइंस सपोर्ट जैसी आवश्यक व्यवस्थाओं को प्राथमिकता दी जाये.
::::——:::::झारखंड के युवा खिलाड़ी हताश हैं. स्पोर्ट्स पॉलिसी को अपग्रेड किया जाना चाहिए. खेल संघों के पास फंड की कमी है, इसलिए पर्याप्त राशि उपलब्ध करायी जानी चाहिए. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर लौटने वाले खिलाड़ियों को अच्छे पदों पर नौकरी मिलनी चाहिए.
दिनेश कुमार, खिलाड़ी::::——:::::
झारखंड के खेल संघ सभी जिलों में काम कर रहे हैं. उन्हें राज्य सरकार से सहयोग मिलना चाहिए ताकि वे खेल और खिलाड़ियों के हित में बेहतर ढंग से कार्य कर सके. खिलाड़ियों को स्कूल से मैदान तक लाने के लिए सरकार की पहल आवश्यक है. ग्रासरूट स्तर पर काम करने की जरूरत है.हरिश, कोच
::::——:::::राज्य सरकार और संघों के बीच समन्वय की कमी नजर आती है. फंड की कमी का सीधा असर खेल और खिलाड़ियों की तैयारी पर पड़ता है. देश-विदेश में अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को अच्छे पदों पर नौकरी दी जानी चाहिए. कई खिलाड़ियों को खेलने के लिए छुट्टी भी नहीं मिलती.
शिव कुमार रमण, खिलाड़ी::::——:::::
पड़ोसी राज्य खेल में आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि उनकी खेल नीति मजबूत है. दूसरे राज्यों में कैश अवार्ड अधिक दिये जाते हैं, जबकि हमारे यहां कम है. कई खिलाड़ी नौकरी कर रहे हैं, लेकिन उनका प्रमोशन समय पर नहीं हो पाता. दूसरे राज्यों में नियमित प्रमोशन मिलता है, जिससे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलता है.लवली चौबे, खिलाड़ी
::::——:::::सभी खेलों में झारखंड के खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन बेहतर ग्राउंड और उपकरणों की आवश्यकता है. खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के लिए अनुभवी कोच उपलब्ध कराए जाने चाहिए. स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं भी बेहतर हों. स्कूल स्तर पर ही खिलाड़ियों के लिए उपयुक्त मंच उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
रोहित शर्मा, खिलाड़ी::::——:::::
खिलाड़ियों को खेलते समय चोट लगती है और कई बार वे आगे खेलने में असमर्थ हो जाते हैं. इसलिए उनकी शिक्षा की व्यवस्था महत्वपूर्ण है. सरकारी संस्थानों में बीपीएड और एमपीएड कोर्स शुरू किए जाने चाहिए ताकि खिलाड़ियों के लिए करियर के अवसर बन सकें. दूसरे राज्यों की तरह मजबूत खेल नीति होनी चाहिए.उत्तम कुमार, खिलाड़ी
::::——:::::झारखंड के खिलाड़ी कई खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अक्सर टीम में दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को मौका मिल जाता है, जबकि यहां की प्रतिभाओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है. खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए ग्राउंड और खेल सामग्री की व्यवस्था होनी चाहिए.
राहुल शर्मा, खिलाड़ी::::——:::::
प्रदर्शन के बाद भी खिलाड़ियों को उचित सम्मान नहीं मिलता. खिलाड़ियों की पहली जरूरत नौकरी है. यदि नौकरी नहीं मिली, तो वे यहां टिक नहीं पायेंगे. सरकार को बिहार की खेल नीति का अध्ययन कर उसी तरह नीति तैयार करनी चाहिए. खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और बेहतर उपकरण उपलब्ध कराये जाये. राघवेंद्र कुमार::::——:::::
एसजीएफआई प्रतियोगिताओं में अधिकतर ग्रामीण बच्चे भाग लेते हैं, जिन्हें ट्रैक या उन्नत सुविधाओं का ज्ञान नहीं होता. प्रतिभाओं की कमी नहीं है, आवश्यकता है कि सरकार खिलाड़ियों की सोच के अनुरूप योजनाएं बनाये. कई खिलाड़ी अपनी जेब से खर्च कर दूसरे राज्यों में जाकर खेलते हैं और राज्य के लिए मेडल जीतकर लौटते हैं, लेकिन उन्हें सम्मान नहीं मिलता. स्कूल स्तर से ही खिलाड़ियों को पहचानने की पहल करनी होगी, ताकि नयी प्रतिभा सामने आ सके.अनिमा द्विवेदी, खिलाड़ी
::::——:::::कई प्रतियोगिताओं में बाहरी खिलाड़ियों को अवसर दिया जाता है, जबकि स्थानीय खिलाड़ियों को मौका नहीं मिलता, जो सही नहीं है. खेल विभाग की जिम्मेदारी ऐसे लोगों को मिलनी चाहिए जिनका खेल बैकग्राउंड हो. खेल नीति में बदलाव आवश्यक है और इस प्रक्रिया में खेल संघों की राय भी शामिल की जानी चाहिए.
परमेश्वर महतो, खेल प्रशिक्षक, डीएसपीएमयू::::——:::::
खेल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बिल्डिंग निर्माण पर नहीं, बल्कि खेल पर ध्यान देना होगा. प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव की आवश्यकता है. सिविल कार्य कम हों और खिलाड़ियों के लिए मैदान प्राथमिकता हों. मेडल टैली में ऊपर आने के लिए छोटे-छोटे खेलों पर भी ध्यान देना जरूरी है. खेल संघों को फंड उपलब्ध कराया जाये.मधुकांत पाठक, महासचिव, झारखंड ओलिंपिक संघ
::::——:::::प्रखंड स्तर से ही खेल की आधारभूत संरचनाओं का निर्माण होना चाहिए, क्योंकि गांव स्तर पर खेल पर ध्यान नहीं दिया जाता. राज्य में खेल विश्वविद्यालय की स्थापना हो, ताकि खिलाड़ियों के साथ-साथ उत्कृष्ट प्रशिक्षक भी तैयार हो सकें. खिलाड़ियों की आजीविका का भी सरकार को ध्यान रखना चाहिए.
एसके पांडेय, पदाधिकारी, झारखंड ओलिंपिक संघडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

