देश में 10 करोड़ डायबिटीज मरीज
विशेषज्ञ बोले, जितना शरीर सक्रिय रहेगा, उतना ही डायबिटीज नियंत्रित रहेगावर्ष 2025 की थीम, जीवन का अलग-अलग स्टेज में डायबिटीज
राजीव पांडेय, रांचीइंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 10 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, जबकि 13 करोड़ से अधिक लोग प्री डायबिटीज की स्थिति में हैं. झारखंड में यह आंकड़ा चिंताजनक है. यहां करीब नौ फीसदी आबादी प्री डायबिटीज की दहलीज पर है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस आबादी पर अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में यह संख्या हाई डायबिटीज में परिवर्तित हो सकती है. इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस की थीम “जीवन के अलग-अलग चरणों में डायबिटीज” रखी गयी है ताकि हर उम्र में इसके प्रति जागरूकता बढ़े. विशेषज्ञों के अनुसार, लोग बीमारी और बचाव को जानते हुए भी जंक फूड और निष्क्रिय जीवनशैली से परहेज नहीं कर रहे हैं. परिणामस्वरूप कम उम्र में ही डायबिटीज तेजी से बढ़ रही है. एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में 4.2% महिलाएं और 6.4% पुरुष उच्च शुगर स्तर से ग्रसित हैं, जबकि 14.1% पुरुष और 10.2% महिलाएं डायबिटीज की दवाइयों पर निर्भर हैं. सदर अस्पताल के फिजिशियन सह डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ हिमालय झा ने बताया शरीर जितना सक्रिय रहेगा, उतना ही डायबिटीज नियंत्रित रहेगा. आधुनिक जीवनशैली में लोग न तो शारीरिक मेहनत कर रहे हैं और न पारंपरिक भोजन अपना रहे हैं, इसी कारण यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है.
जहां चलकर जा सकते हैं, वहां वाहन का उपयोग न करें : डॉ ढ़ाढ़निया
डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ वीके ढ़ाढ़निया ने कहा कि डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए टीम वर्क जरूरी है. इसमें डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक, पोषण विशेषज्ञ और योग प्रशिक्षक की संयुक्त भूमिका होती है. डॉक्टर दवा और चिकित्सा मार्गदर्शन देते हैं. साइकोलॉजिस्ट मरीज को मानसिक रूप से संभालते हैं. न्यूट्रिशनिस्ट संतुलित आहार की सलाह देते हैं. योग एक्सपर्ट प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से नियंत्रण में मदद करते हैं.
गर्भधारण से पहले डायबिटीज की स्क्रीनिंग जरूरी
स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं को गर्भधारण से पहले ही डायबिटीज की जांच अवश्य करानी चाहिए. आमतौर पर यह जांच गर्भावस्था के दौरान होती है, लेकिन समय से पहले स्क्रीनिंग कराना कई जटिलताओं से बचा सकता है.
डायबिटिक रेटिनोपैथी का बढ़ता खतरा
अनियंत्रित शुगर के कारण डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा भी बढ़ रहा है. रिम्स के नेत्र विभाग में प्रतिदिन 10 से 12 मरीज रेटिना संबंधी समस्या लेकर आते हैं, जिनमें से तीन से चार मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता होती है. जिन मरीजों का उपचार देर से होता है, उन्हें आंखों की रोशनी बचाने के लिए इंजेक्शन (सूई) लेनी पड़ती है. विशेषज्ञों ने चेताया है कि दवा पर निर्भर 14.1% पुरुष और 10.2% महिला डायबिटीज मरीजों में दृष्टि खोने का जोखिम सबसे अधिक है.
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