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डॉक्टर लिखने लगे हैं कैपिटल लेटर में दवाओं के जेनेरिक नाम

कुछ तो हुआ असर. एमसीआइ के दिशा-निर्देशों का पालन शुरू रांची : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा देश के डॉक्टरों को कैपिटल लेटर में दवाओं के जेनेरिक नाम लिखने के आदेश का असर राजधानी में भी दिखने लगा है. ‘प्रभात खबर’ ने सोमवार को रिम्स एवं सदर अस्पताल के ओपीडी का जायजा लिया. दोनों […]

कुछ तो हुआ असर. एमसीआइ के दिशा-निर्देशों का पालन शुरू
रांची : मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) द्वारा देश के डॉक्टरों को कैपिटल लेटर में दवाओं के जेनेरिक नाम लिखने के आदेश का असर राजधानी में भी दिखने लगा है. ‘प्रभात खबर’ ने सोमवार को रिम्स एवं सदर अस्पताल के ओपीडी का जायजा लिया. दोनों अस्पतालों में मरीजों की परामर्श परची पर अधिकांश डॉक्टरों ने दवाओं का जेनेरिक नाम कैपिटल लेटर में लिखे हुए थे. डॉक्टरों ने मरीजों को लिखी गयी दवाओं की रिम्स में उपलब्धता की जानकारी भी दी. मरीज व उनके परिजनों को बताया गया कि जो दवा रिम्स में उपलब्ध नहीं है, वह इमरजेंसी के सामने स्थिति जन औषधि केंद्र से ली जा सकती है. हालांकि, रिम्स के हड्डी एवं नेत्र रोग विभाग में अब भी डॉक्टर ब्रांड नेम व रनिंग लेटर में दवाओं का नाम लिख रहे हैं.
रिम्स के डॉक्टरों ने मंगायी दवाओं की सूची
रिम्स के डॉक्टरों ने अस्पताल में उपलब्ध दवाओं की सूची अपने पास मंगा ली है. रिम्स के इएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पीके सिंह ने बताया कि मरीजों को सूची के हिसाब से ही दवाएं लिखी जा रही हैं. जो दवाएं उपलब्ध नहीं है, उनके जेनेरिक नाम कैपिटल लेटर में लिखे जा रहे हैं.
प्राइवेट डॉक्टर भी कैपिटल लेटर में लिख रहे दवाएं
प्राइवेट डॉक्टर भी दवाओं का जेनेरिक नाम कैपिटल लेटर में लिख रहे हैं. कार्डियोलाॅजिस्ट डॉ दीपक गुप्ता एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश अग्रवाल ने इसकी शुरुआत की है. हालांकि, कई अन्य प्राइवेट डॉक्टरों ने जेनेरिक दवाओं का नाम लिखना शुरू किया है.
सभी को कैपिटल लेटर में लिखना संभव नहीं
रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सीबी सहाय ने कहा कि हमारे पास मरीजों का दबाव रहता है. ऐसे में सभी मरीजाें के लिए कैपिटल लेटर में दवाओं का नाम लिखना संभव नहीं है. कुछ लोगों को हम जेनेरिक दवा कैपिटल में लिख रहे हैं. अगर सबको लिखने लगे, तो सभी मरीजों को देख पाना संभव नहीं हो पायेगा.
डॉक्टरों को खुद अपनी जिम्मेदारी लेनी होगी. प्रबंधन के आदेश के बजाय अपने अंतरआत्मा को जगाना होगा. अपने को तैयार करना होगा. डॉक्टरों को बुला कर बताया जायेगा कि वह दवाओं का जेनेरिक नाम कैपिटल लेटर में लिखें.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स

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