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झारखंड में हर साल 5000 सड़क दुर्घटनाएं, 2800 लोगों की मौत

झारखंड में हर साल औसतन पांच हजार से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं. इनमें तकरीबन चार हजार से अधिक लोग घायल होते हैं. जबकि करीब 2800 लोगों की जान चली जाती है. मृतकों में अधिकतर की उम्र 14 से 30 साल के बीच पायी गयी. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक […]

झारखंड में हर साल औसतन पांच हजार से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं. इनमें तकरीबन चार हजार से अधिक लोग घायल होते हैं. जबकि करीब 2800 लोगों की जान चली जाती है. मृतकों में अधिकतर की उम्र 14 से 30 साल के बीच पायी गयी. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक 1999 दुर्घटनाएं लापरवाही से वाहन चलाने से हुई, जिसमें 1562 लोगों घायल हुए और 1003 लोगों की मौत हो गयी. प्रभात खबर अपने सामाजिक दायित्व के तहत लोगों को सचेत करने के लिए सड़क सुरक्षा को लेकर अभियान शुरू कर रहा है, जिसकी पहली कड़ी प्रकाशित की जा रही है.
रांची : झारखंड में वर्ष 2015 में 5162 दुर्घटनाएं हुई थी. यह आंकड़ा वर्ष 2014 में हुई 4905 दुर्घटना से 5.2 प्रतिशत ज्यादा है. अर्थात झारखंड में हर दिन 14 से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 11 लोग घायल होते हैं और आठ लोगों की मौत हो जाती है. वर्ष 2015 में स‌र्वाधिक 1999 हादसे लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई, जिनमें 1003 लोगों की मौत हो गयी. वहीं 1562 लोग घायल हुए थे. इनमें से कई लोग अपंग भी हो गये. वहीं स्पीड ड्राइविंग के कारण हुई दुर्घटनाओं की संख्या 1251 थी, जिसमें 1000 से अधिक लोग घायल हो गये थे और 749 लोगों की मौत हो गयी.
दुर्घटना में हुई मौतों के आंकड़े को देखें तो सबसे अधिक मौत 14 से 30 वर्ष की उम्र के युवाओं की होती है. वर्ष 2015 में 18 से 30 वर्ष की उम्र के 1445 युवकों की मौत हो गयी. इसमें 14 से 18 वर्ष के उम्र के 188 लोगों और 18 से 30 वर्ष के उम्र के 1257 लोगों की मौत हो गयी थी. इसमें 1274 पुरुष और 71 महिलाएं शामिल थे.
सबसे अधिक मौतें रांची में : एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के तीन बड़े शहरों में सबसे अधिक 261 दुर्घटना रांची में हुई, जिसमें 152 लोगों की मौत हो गयी थी. जमशेदपुर में 180 दुर्घटना में 88 लोग और धनबाद में 137 दुर्घटना में 48 लोगों की मौत हो गयी थी.
हाइकोर्ट गंभीर, दिया निर्देश कम उम्र के वाहन चालकों को पकड़ें, स्पीड की जांच करें
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है. स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सोमवार को माैखिक रूप से कहा कि पुलिस कम उम्र के लड़कों को वाहन चलाते देखे, तो तत्काल पकड़े. उनके अभिभावक को बुलाने के बाद ही छोड़ा जाये. बिना हेलमेट के वाहन चलानेवाले युवकों को भी पकड़ा जाये. वाहनों की स्पीड की जांच की जाये. स्कूल-कॉलेज व अस्पतालों के निकट गति कम रखने के लिए बोर्ड लगाया जाये.
अभिभावक दे देते हैं कम उम्र के बच्चों को वाहन
खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा : आजकल देखा जा रहा है कि अभिभावक अपने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को भी दोपहिया वाहन दे देते हैं. बच्चे ट्रैफिक रूल की अनदेखी करते हैं आैर काफी तेजी से वाहन चलाते हैं. वाहन चलाते वक्त मोबाइल से भी बातें करते हैं. ट्रैफिक रूल तोड़ने पर जुर्माना से भी नहीं डरते. ऐसे बच्चों को पुलिस तुरंत रोके. उनके अभिभावकों को बुला कर उन्हें समझाया जाये, ताकि बच्चे गलती करने से डरें. कई जगहों पर ट्रैफिक रूल का उल्लंघन करने पर लोग पुलिसकर्मियों से उलझ जाते हैं. मुख्य चौक-चौराहों, व्यावसायिक मॉल के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने चाहिए.
स्पीड ब्रेकर की जगह रमलर बनायें
खंडपीठ ने एयरपोर्ट रोड में मां संतोषी के मंदिर के आसपास रमलर (छोटा स्पीड ब्रेकर) बनाने का निर्देश दिया. एनएचएआइ के प्रावधान के अनुसार दुर्घटनावाली सड़कों पर स्पीड ब्रेकर की जगह रमलर बनाने को कहा, ताकि वहां पर वाहनों की गति पर अंकुश लगायी जा सके. एयरपोर्ट रोड में इसी जगह पर मोटरसाइकिल दुर्घटना में रविवार को तीन बच्चों की मौत हो गयी थी. खंडपीठ ने बिना परमिटवाले ऑटो का परिचालन रोकने को कहा. कहा कि शहर के विभिन्न क्षेत्रों के लिए ऑटो पर अलग- अलग रंग के स्टीकर लगाये जायें, ताकि उनकी पहचान सुनिश्चित हो सके.
सरकार का पक्ष
सरकार की अोर से बताया गया कि ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार का लगातार प्रयास किया जा रहा है. जैप के जवान को लगाया जायेगा. सभी जगहों पर लगातार चेकिंग की जाती है. ट्रैफिक नियमों को तोड़नेवालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. सुनवाई के दौरान कोर्ट में ट्रैफिक एसपी संजय रंजन सिंह सशरीर उपस्थित थे. कोर्ट ने ट्रैफिक एसपी को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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